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गिरेंगी संजौली मस्जिद की तीन मंजिलें, जानिए विवाद शुरू होने से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ - Sanjauli mosque dispute

निगम कोर्ट शिमला ने संजौली मस्जिद की 3 मंजिलों को गिराने की अनुमति दे दी है, जानिए इस मामले में अब तक क्या क्या हुआ.

संजौली मस्जिद विवाद में अब तक क्या क्या हुआ
संजौली मस्जिद विवाद में अब तक क्या क्या हुआ (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 5, 2024, 7:38 PM IST

Updated : Oct 5, 2024, 7:52 PM IST

शिमला:हिमाचल में इन दिनों राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली की मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला चर्चा में है. आखिर कैसे एक मारपीट की घटना से बवाल मचा और मामला राज्य की विधानसभा और पूरे प्रदेश में गूंज गया. इसकी शुरुआत कैसे हुई और अब तक इस मामले में क्या क्या हुआ इस खबर में विस्तार से बताया गया है.

दरअसल, इस विवाद की शुरुआत शिमला के मल्याणा से हुई. अगस्त महीने के अंत में मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह नामक 37 साल के व्यक्ति के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की. झगड़े में विक्रम सिंह के सिर में गंभीर चोटें आई और 14 टांके लगे. ढली पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की और आरोपियों को दबोच लिया. आरोपियों में दो तो नाबालिग थे. विक्रम सिंह की तरफ से ढली थाना में दर्ज की गई रिपोर्ट में बताया गया कि वो 30 अगस्त की रात साढ़े आठ बजे अपना लोक मित्र केंद्र बंद कर घर जा रहा था कि वहां एक लड़का शोर मचा रहा था. विक्रम ने उसे रोका तो वहां मोहम्मद गुलनवाज अपने अन्य साथियों के साथ आया और विक्रम को घेर कर मारपीट करने लगे. एक लड़के ने डंडे से सिर पर प्रहार किया. विक्रम ने शिकायत में कहा कि गुलनवाज और उसके साथियों ने जयपाल व राजीव शर्मा नामक लोगों से भी मारपीट की.

ढली पुलिस थाने में केस हुआ था दर्ज

ढली पुलिस ने घायल लोगों का मेडिकल करवा लीगल केस बनाकर इलाज करवाया. पुलिस के अनुसार मामले में छह आरोपियों की पहचान की गई. उनमें से दो नाबालिग हैं. पुलिस के अनुसार आरोपियों में गुलनवाज आयु 32 साल, सारिक आयु 20 साल, सैफ अली आयु 23 साल, रोहित आयु 23 साल और दो नाबालिग शामिल हैं. इनमें रिहान उत्तराखंड का और बाकी सभी यूपी मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं. नाबालिगों को उनके अभिभावकों के सुपुर्द कर दिया गया था.

मानसून सत्र में उठा मुद्दा

आरोप है कि हमला करने वाले छह मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने संजौली की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की कुछ मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है. इस दौरान विधानसभा का मानसून सेशन भी चल रहा था और वहां कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. कैबिनेट मंत्री ने सदन में खुलासा किया कि चौदह साल में मामले में 44 पेशियां हो गई, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया. अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर दी. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया.

अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में उठाया मुद्दा

गौरतलब है कि बीते दिन हिमाचल विधानसभा में मानसून सत्र के दौरानकैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने संजौली में बने अवैध मस्जिद का मुद्दा उठाया. अनिरुद्ध सिंह ने कहा, "ये कैसी परिस्थिति उत्पन्न हो रही है प्रदेश में, जो रोज नए जमात वाले आ रहे हैं, जिनका कोई अता पता ही नहीं है. क्या ये रोहिंग्या मुसलमान हैं, मैं खुद एक दो लोगों को जानता हूं, जो बांग्लादेश से आए हैं, उनकी वेरिफिकेशन होनी चाहिए. यहां पर 190 लोगों हैं, जो रजिस्टर्ड हैं तो 1900 कैसे हो गए? आज आप किसी भी बाजार में चले जाइए. चाहे आप संजौली या ढली चले जाइए, लोगों के चलने के लिए जगह नहीं है. आज संजौली बाजार में औरतों का चलना मुश्किल हो गया है. मैं इस बात का व्यक्तिगत गवाह हूं. यहां नशे का कारोबार और क्राइम बढ़ रहा है. इसके पीछे कौन है, इसकी जांच होनी चाहिए. मैं मांग करता हूं कि 190 लोगों की वेरिफिकेशन की जाए और बाकी लोगों का साफ किया जाए".

11 सितंबर को हिंदू संगठनों का प्रदर्शन

संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर 11 सितंबर को हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर पथराव किया. इसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिस जवान घायल हुए. पुलिस ने इस मामले में कई दर्जन लोगों पर एफआईआर दर्ज की है.

11 सितंबर को संजौली हुआ विरोध प्रदर्शन (ETV BHARAT)

मस्जिद कमेटी पहुंची निगम कोर्ट

12 सितंबर को मस्जिद कमेटी ने नगर निगम कोर्ट में खुद मस्जिद के अवैध ढांचे को गिराने का आवेदन किया. मस्जिद कमेटी के सदस्यों ने कहा कि वो लोगों के साथ शांतिपूर्वक माहौल में रहना चाहते हैं.

शोएब जमई के आने से भड़का विवाद

इसी बीच 24 सितंबर को शोएब जमई ने यहां मस्जिद में आकर वीडियो बनाया और उसे एक्स पर डाला. उसके बाद से हिंदू संगठन भड़क गए. दरअसल जमई ने आसपास की इमारतों को अवैध बताया और कहा कि इन पर कार्रवाई क्यों नहीं? उसके बाद जब मुस्लिम पक्ष को लगा कि बात बिगड़ रही है तो उसने तुरंत मीडिया को बुलाकर स्पष्ट किया कि वो शोएब जमई को नहीं जानते और उनके बयान का खंडन करते हैं.

लोकल रेजिडडेंट ने लगाए कई आरोप

5 अक्टूबर को निगम कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्थानीय लोगों ने अपना पक्ष रखने के लिए आवेदन किया था, लेकिन निगम कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया. लोकल रेजिडेंट की तरफ से पेश वकील जगतपाल ठाकुर ने कहा कि, एमसी एक्ट में 254 (1) में छह महीने में अवैध निर्माण पर एक्शन का प्रावधान है. एक्ट के तहत सबसे पहले नोटिस 31 मार्च 2010 को जारी हो गया था. यह नोटिस ग्राउंड फ्लोर के अवैध निर्माण के लिए दिया गया था. इस नोटिस का प्रावधान बिना अनुमति किए जा रहे काम को रोकने के लिए था. नियमों के तहत इस तरह के काम को नोटिस मिलने के बाद फिर से शुरू नहीं किया जा सकता.'

3 मंजिलों को गिराने की अनुमति

वहीं, आज संजौली मस्जिद विवाद को लेकर हुई सुनवाई में निगम कोर्ट ने संजौली मस्जिद की 3 अवैध मंजिलों को गिराने की अनुमति दे दी है. इस अवैध निर्माण को हटाने के लिए 2 महीने का समय दिया गया है. वक्फ बोर्ड की देखरेख ये निर्माण हटाया जाएगा. अवैध मंजिलों को गिराने का खर्च मस्जिद कमेटी को खुद उठाना होगा. अवैध ढांचे को गिराने के लिए 12 सितंबर को मस्जिद कमेटी ने खुद निगम कोर्ट से अनुमति मांगी थी. बचे हुए ग्राउंड फ्लोर और पहले हिस्से को लेकर अब मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी.

2010 में उठा था अवैध निर्माण का मामला

बता दें कि नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री के अनुसार संजौली की मस्जिद में निर्माण का मामला वर्ष 2010 में सबसे पहले उठा था. मस्जिद कमेटी ने उस समय यहां पिलर का निर्माण किया था. उस पर कमेटी को नोटिस दिया गया. ये मामला वर्ष 2012 तक चलता रहा. फिर मस्जिद कमेटी के प्रधान ने वक्फ बोर्ड से निर्माण के संबंध में एनओसी ले लिया. फिर 2015 से 2018 के बीच तीन साल में मस्जिद की अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया. फिर 2019 में मस्जिद कमेटी को संशोधित नोटिस दिया गया. बाद में गलत निर्माण को लेकर जुलाई 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया. साथ ही मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ को भी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वक्फ से एनओसी उनके नाम जारी हुआ था.

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Last Updated : Oct 5, 2024, 7:52 PM IST

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