करनाल: सनातन धर्म में एकादशी को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है. इस दिन विधिवत रूप से एकादशी का व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस समय फाल्गुन महीना चल रहा है. फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखा जाता है. इंसान को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. तो आईए जानते हैं विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इसके व्रत का विधि-विधान क्या है.
कब है विजया एकादशी ? : इस एकादशी की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 23 फरवरी को दोपहर बाद 1:56 पर हो रही है. इसका समापन 24 फरवरी को 1:45 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. व्रत का पालन करने का समय 25 फरवरी को सुबह 6: 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12:45 तक कर सकते हैं.
विजया एकादशी के व्रत का महत्व : पंडित ने बताया कि विजय एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है, जो भी इंसान इस दिन विधिवत रूप से एकादशी का व्रत करता है, वह सभी कामों में विजय हासिल करता है. अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त करता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत किया था. उसके बाद उन्होंने लंका पति रावण पर विजय हासिल की थी, तब से ही विजया एकादशी का व्रत का महत्व चला आ रहा है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की भी पूजा-अर्चना की जाती है, इसेस घर में सुख समृद्धि आती है और इंसान को यह व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.