छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

बस्तर लोकसभा चुनाव में कौन सी पार्टी रही जनता की फेवरेट, जानिए अब तक हुए चुनावों में राजनीतिक दलों का हाल - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

बस्तर लोकसभा सीट के लिए 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.लेकिन असली मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. विधानसभा नतीजों से उत्साहित बीजेपी के लिए जहां चुनाव थोड़ा आसान लग रहा था,वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर कवासी लखमा को उतारकर मुकाबला बराबरी पर ला खड़ा किया है.आज हम जानेंगे बस्तर लोकसभा सीट पर किस पार्टी का जादू सबसे ज्यादा मतदाताओं पर चला है.

Bastar Loksabha Candidate History
बस्तर लोकसभा में राजनीतिक दलों का प्रदर्शन

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 29, 2024, 9:07 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव बस्तर लोकसभा सीट के लिए होगा.इस सीट पर मौजूदा समय में कांग्रेस काबिज है.लेकिन छत्तीसगढ़ में जब से बीजेपी की सरकार आई है तब से ही बस्तर लोकसभा सीट को लेकर बीजेपी ने तैयारी शुरु कर दी थी.इस लोकसभा सीट पर वोटर्स का मूड बदलता रहता है. पिछले पांच चुनाव की बात करें तो बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आता है.लेकिन पिछले चुनाव में जिस तरह से मोदी लहर के बाद भी कांग्रेस ये सीट बचाने में कामयाब रही,उसे देखकर यही लगता है कि बीजेपी के लिए इस बार भी मुकाबला आसान नहीं होगा.बीजेपी के लिए इस लोकसभा में अच्छी बात ये है कि हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में बस्तर जिले की सीटों में बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. 9 में से 6 विधानसभा सीट पर बीजेपी काबिज है.इसलिए बीजेपी के वोटर्स ने इस बार अपने कैंडिडेट का साथ दिया तो एक बार फिर बीजेपी इस सीट पर कब्जा कर सकती है.बीजेपी ने बस्तर लोकसभा सीट से महेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है.

कांग्रेस के लिए प्लस प्वाइंट :वहीं कांग्रेस की बात करें तो यहां से पार्टी ने छह बार के विधायक कवासी लखमा को अपना उम्मीदवार बनाया है. कवासी लखमा कोंटा से विधायक हैं.सीनियर लीडर के साथ कवासी अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है. भले ही कवासी ने स्कूल का मुंह तक ना देखा हो,फिर भी छह भाषाओं का ज्ञान कवासी को है.कवासी लखमा में खासियत ये भी है कि यदि वो किसी चीज को ठीक तरह से सुन लें तो उन्हें वो बात लंबे समय तक याद रहती है.यहीं नहीं जनता के बीच जाकर कवासी आसानी से घुल मिल जाते हैं.देसी अंदाज और अपने समर्थकों को साधने का हुनर कवासी लखमा को आता है.इसलिए पिछली कांग्रेस के सरकार में कवासी लखमा को आबकारी मंत्री का पद भी मिला था.लेकिन इस बार कवासी को पार्टी दिल्ली भेजना चाहती है.लिहाजा बस्तर की रणभूमि में इस बार अपने सबसे भरोसेमंद सिपाही को कांग्रेस ने उतारा है. आज हम आपको बताएंगे बस्तर लोकसभा सीट का इतिहास साथ ही जानेंगे किस उम्मीदवार ने इस लोकसभा सीट पर सबसे लंबे समय तक अपना दबदबा कायम रखा.

पहले चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हारी : 1952 से लेकर 1999 तक बस्तर लोकसभा मध्यप्रदेश का हिस्सा थी. देश के पहले चुनाव में इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा ने विजय पताका लहराया था.इस चुनाव की खास बात ये थी कि कांग्रेस उम्मीदवार सुरती किसतिया इस सीट पर बुरी तरह से हारे थे. कोसा ने पहले चुनाव में 1 लाख 77 हजार 588 मत हासिल किए. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार सुरती को 36 हजार 257 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. इसके बाद कांग्रेस ने इस लोकसभा सीट पर मेहनत की.कांग्रेस ने दोबारा 1957 में सुरती किसतिया को टिकट दिया.सुरती ने भी दोबारा टिकट मिलने पर कांग्रेस को निराश नहीं किया.सुरती ने करिश्मा करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार बोदा दादा को बुरी तरह से हराया. सुरती ने दूसरे चुनाव में 1 लाख 40 हजार 961 मत हासिल किए.वहीं बोदा 41 हजार 684 वोट ही हासिल कर सके.

1957 के बाद निर्दलियों का दबदबा : 1957 में बड़ी जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के लिए आगामी चार लोकसभा चुनाव किसी बुरे सपने से कम ना थे.क्योंकि कांग्रेस लगातार चार लोकसभा चुनाव हारी. 1962 से 1977 तक बस्तर लोकसभा सीट पर निर्दलीयों ने राज किया. 1962 में दो निर्दलीय उम्मीदवार पहले और दूसरे नंबर पर रहे थे. जिसमें 87557 वोट पाकर लखमू भवानी ने जीत हासिल की.वहीं दूसरे नंबर पर निर्दलीय बोदा दादा थे.1967 में निर्दलीय उम्मीदवार जे सुंदरलाला ने जीत हासिल की. सुंदरलाल ने 53 हजार 798 वोट हासिल किए थे.इस चुनाव में कांग्रेस का सूरज ढल चुका था.क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी पांचवें नंबर थी. इसके बाद 1971 के चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवार लम्बोदर बलियार ने चुनाव जीता.दूसरे नंबर पर पीलूराम कृपाराम रहे.पीलूराम ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा था.

1977 में भारतीय लोकदल ने खोला खाता :1977 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार लम्बोदर बलियार कांग्रेस में शामिल हुए और चुनाव लड़ा.लेकिन कांग्रेस की किस्मत का ताला नहीं खुला.क्योंकि इस बार कांग्रेस के रास्ते में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार रिगपाल शाह केसरी शाह खड़े हो गए. रिगपाल ने कांग्रेस उम्मीदवार लम्बोदर को बुरी तरह से हराया.रिगपाल को जहां 1 लाख 1007 मत मिले वहीं लंबोदर को 50 हजार 953 वोटों से संतोष करना पड़ा.

साल जीते उम्मीदवार पार्टी हारे उम्मीदवार पार्टी
1952 मुचाकी कोसा निर्दलीय सुरती किसतिया कांग्रेस
1957 सुरती किसतिया कांग्रेस बोदा दादा निर्दलीय
1962 लखमू भवानी निर्दलीय बोदा दादा निर्दलीय
1967 जे सुंदरलाल निर्दलीय आर झादू बीजेएस
1971 लंबोदर बलियार निर्दलीय पीलूराम कृपाराम निर्दलीय
1977 रिगपाल शाह केसरी भारतीय लोकदल लंबोदर बलियार कांग्रेस

1980 में कांग्रेस का हुआ उदय : किसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए चार बार लगातार एक ही लोकसभा सीट से हारना किसी बुरे सपने से कम ना था. कांग्रेस एक के बाद एक चार झटके खा चुकी थी.लिहाजा साल 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने रणनीति में बदलाव किया. पिछली गलतियों से सबक लेकर कांग्रेस ने 1980 में नए उम्मीदवार को मैदान में उतारा. कांग्रेस के लिए लक्ष्मण कर्मा प्रत्याशी बने. आखिरकार कांग्रेस का एक्सपेरिमेंट काम कर गया. लक्ष्मण ने कांग्रेस को निराश नहीं करते हुए जनता पार्टी के उम्मीदवार समारु राम परगनिया को हरा दिया.

कांग्रेस ने पीछे मुड़कर नहीं देखा : 1980 में जीत का स्वाद चखने के बाद कांग्रेस ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. चार बार लगातार लोकसभा चुनाव हारने वाली कांग्रेस ने आगामी तीन लोकसभा चुनाव बड़े मार्जिन से जीते.कांग्रेस ने 1984 से 1991 तक मंकूराम सोदी को टिकट देकर चुनाव लड़वाया.सोदी पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित हुए. 1984 में सोदी ने सीपीआई नेता महेंद्र कर्मा को हराया. इसके बाद 1989 में बीजेपी के संपत भंडारी को पटखनी दी. इसके बाद 1991 में बीजेपी उम्मीदवार राजाराम तोडेम को भी मंकूराम सोदी ने चुनाव हरा दिया. लेकिन 1996 में कांग्रेस को फिर से निर्दलीय उम्मीदवार के हाथों हारना पड़ा. कांग्रेस के विपक्ष में खड़े हुए निर्दलीय उम्मीदवार महेंद्र कर्मा ने मंकूराम सोदी को 14 हजार मतों से हरा दिया.

1998 में बीजेपी ने बस्तर में बनाई पैठ : 1998 में बीजेपी के लिए बस्तर खुशी का पैगाम लेकर आया. पहली बार बीजेपी ने बस्तर लोकसभा सीट पर खाता खोला. यहां बलिराम कश्यप को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था. बलिराम ने बीजेपी को निराश नहीं किया. 1998 से लेकर 2011 तक बलिराम ने बस्तर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. लेकिन साल 2011 में बलिराम कश्यप का निधन हो गया. निधन के बाद हुए उपचुनाव में बलिराम के बेटे दिनेश कश्यप को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया. दिनेश ने भी जीत दर्ज की.इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में फिर से दिनेश कश्यप को उम्मीदवार बनाया गया. दिनेश ने दोबारा बस्तर लोकसभा सीट बीजेपी के झोले में लाकर रख दी.

साल जीते उम्मीदवार पार्टी हारे उम्मीदवार पार्टी
1980 लक्ष्मण करमा कांग्रेस समारूराम परगनिया जनता पार्टी
1984 मंकूराम सोढ़ी कांग्रेस महेंद्र कर्मा सीपीआई
1989 मंकूराम सोढ़ी कांग्रेस संपत भंडारी बीजेपी
1991 मंकूराम सोढ़ी कांग्रेस राजाराम तोड़ेम बीजेपी
1996 महेंद्र कर्मा निर्दलीय मंकूराम सोढ़ी कांग्रेस
1998 बलिराम कश्यप बीजेपी मंकूराम सोढ़ी कांग्रेस
1999 बलिराम कश्यप बीजेपी महेंद्र कर्मा कांग्रेस
2004 बलिराम कश्यप बीजेपी महेंद्र कर्मा कांग्रेस
2009 बलिराम कश्यप बीजेपी शंकर सोढ़ी कांग्रेस
2014 दिनेश कश्यप बीजेपी दीपक कर्मा कांग्रेस
2019 दीपक बैज कांग्रेस बैदूराम कश्यप बीजेपी

वर्षवार कितने राजनीतिक दलों ने चुनाव में लिया हिस्सा -बस्तर लोकसभा की बात करें तो इस लोकसभा सीट पर शुरुआती तीन चुनाव में सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने ही राजनीतिक दल के तौर पर हिस्सा लिया था.कांग्रेस के खिलाफ हमेशा ही निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनावी मैदान में हाथ आजमाया.लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदला वैसे-वैसे कांग्रेस के सामने राजनीतिक दल चुनौती देने आने लगे.1971 के चुनाव में तीन राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ा था.लेकिन ये तीनों ही दल निर्दलीय उम्मीदवारों के आगे पस्त हो गए.

साल कितने दलों ने लिया हिस्सा कुल वोटर्स प्रतिशत
1957 1 370085
1962 1 421440 13.88
1967 2 427235 1.38
1971 3 479049 12.13
1977 2 495505 3.44
1980 2 505816 2.08
1984 3 590530 16.75
1989 4 751296 27.22
1991 4 760905 1.28
1996 6 923408 21.36
1998 4 931368 0.86
1999 5 954405 2.47
2004 6 1039442 8.91
2009 6 1193116 14.78
2014 4 1298083 8.8
2019 8 1379122 6.24
2024 7 1466337

पिछले पांच चुनाव के नतीजे

2019 : 2019 में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 1379122 मतदाता थे. चुनाव के बाद वैध मतों की कुल संख्या 8 लाख 71 हजार 179 थी. इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दीपक बैज जीते और सांसद बने थे. दीपक बैज को चुनाव में 402527 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के प्रत्याशी बैदूराम कश्यप चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे. बैदूराम को 3 लाख 63 हजार 545 मत मिले थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में 41667 नोटा वोट पड़े थे. चुनाव में 66.19% वोट पड़े जो 2009 और 2014 लोकसभा चुनाव से ज्यादा है.

2014 :बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 1298083 मतदाता थे. मतों की कुल संख्या 7 लाख 31 हजार 141 थी . इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार दिनेश कश्यप जीते और सांसद बने थे .दिनेश कश्यप को 3 लाख 85 हजार 829 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार दीपक कर्मा 2 लाख 61 हजार 470 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे.

2009 : बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 11 लाख 93 हजार 116 मतदाता थे. वैध मतों की कुल संख्या 5 लाख 64 हजार 711 थी . इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार बलिराम कश्यप चुनाव जीते थे. बलिराम कश्यप को 2 लाख 49 हजार 373 वोट मिले थे. कांग्रेस के शंकर सोढ़ी 1 लाख 49 हजार 111 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.

2004 : बस्तर संसदीय क्षेत्र में 10 लाख 39 हजार 442 मतदाता थे. वैध मतों की संख्या 4 लाख 50 हजार 425 थी. 2004 में भी बलिराम कश्यप ने 2 लाख 12 हजार 893 मत पाकर चुनाव जीता था. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र कर्मा 1 लाख 58 हजार 520 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.

1999 : बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 9 लाख 54 हजार 405 मतदाता थे. वैध मतों की कुल संख्या 3 लाख 56 हजार 603 थी.इस सीट से बीजेपी के बलिराम कश्यप 1 लाख 55 हजार 421 मत लेकर सांसद बने थे. कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र कर्मा 1 लाख 34 हजार 684 मतों के साथ दूसरे स्थान पर थे.

लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज जगदीश कौशिक का आमरण अनशन जारी, बिगड़ी तबीयत
मणिपुर हिंसा पर अन्ना के बयान पर बोले बघेल, कब अनशन पर बैठेंगे अन्ना हजारे?
कोरबा सीट पर चरणदास महंत ने संभाला मोर्चा, कोरिया में पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया जीत का मंत्र

ABOUT THE AUTHOR

...view details