रायपुर: बुधवार 15 जनवरी 2025 को ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था. यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम, पीएमएलए 2002 के तहत की गई. उसके बाद कवासी लखमा को रायपुर के पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने लखमा को 21 जनवरी 2025 तक ईडी की हिरासत में भेजा. शुक्रवार को इस केस में ईडी ने बकायदा एक प्रेस रिलीज जारी किया है. जिसमें ईडी ने कथित शराब घोटाले में हुई कार्रवाई की जानकारी दी है.
ईडी का दावा शराब घोटाले में लखमा की भूमिका: ईडी ने इस प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर दावा किया कि कवासी लखमा शराब घोटाले के दौरान आबकारी मंत्री थी. इस शराब घोटाले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया. एसीबी और EOW के दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरी की. ईडी की जांच में यह पता चला कि कवासी लखमा को शराब की जांच सहित आबकारी विभाग के पूरे मामलों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने के लिए कुछ नहीं किया.
"आबकारी नीति के बदलाव में लखमा की भूमिका": ईडी ने दावा किया कि आबकारी नीति के बदलाव में भी कवासी लखमा की भूमिका रही है. उन्होंने नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य में FL-10A लाइसेंस की शुरुआत हुई. कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम अंग थे. वह सिंडिकेट को सहायता करते थे. ईडी ने यह भी दावा किया है कि, जांच में शराब घोटाले से उत्पन्न होने वाली अपराध की आय (पीओसी) में से कवासी लखमा को प्रति माह कम से कम 2 करोड़ रुपये मिल रहे थे. इन पैसों का उपयोग कवासी लखमा ने अपने अचल संपत्तियों के निर्माण में किया.