Karnal Oxy Forest Scheme (ETV BHARAT) करनाल:आज के समय में बढ़ती आबादी के कारण विश्व भर में पेड़-पौधों की जगह कंक्रीट के जंगल खड़े होने लगे हैं. ग्लोबल वार्मिंग से वायु की गुणवत्ता खराब होती है. इसलिए पेड़ों की बहुत ज्यादा जरूरत है. ताकि लोगों को हेल्दी पर्यावरण मिल सके. बढ़ते वाहनों और केमिकल फैक्ट्रियों के बीच लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. जिसके चलते इंसान कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है हमारा बदलता पर्यावरण. जिसको देखते हुए करनाल में करीब 5 करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सी-वन मॉडल बनाया जा रहा है. प्रदेश सरकार की ओर से यह करनाल वासियों के लिए अनूठा उपहार है.
'ऑक्सी वन में होंगे 9 किस्म के वन': किस्म के प करनाल के जिला वन अधिकारी जयकुमार ने बताया कि ऑक्सी-वन सेक्टर-4 से लेकर मधुबन तक करीब 4.5 किलोमीटर लंबा व 200 फुट चौड़ा तथा 40 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जा रहा है. इसमें नौ प्रकार के वन विकसित किए जाएंगे. इनमें चित वन, पक्षी वन, ऋषि वन, नीर वन, तपोवन, सुगंध वन, अंतरिक्ष वन, आरोग्य वन तथा स्मृति वन शामिल हैं.
Karnal Oxy Forest Scheme (ETV BHARAT) 'टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा': उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह तैयार है और जल्द ही इसे जनता को समर्पित किया जाएगा. ऑक्सी वन के बनने से यहां पर ग्रीन टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और बड़ी संख्या में लोग यहां सैर करने आएंगे साथ ही उन्हें पर्यावरण संरक्षण करने की प्रेरणा भी मिलेगी.
HARYANA TOURISM BOOSTED (ETV BHARAT) 'आरोग्य वन में औषधीय पौधे': जय कुमार ने कहा कि सभी वनों में विभिन्न प्रकार के फल-फूल, छायादार तथा आरोग्य औषधी के पौधे रोपित किए जाएंगे. यहां सूचना केंद्र और सारिका की दुकान होगी. इसके अलावा एम्फी थिएटर का निर्माण भी किया जाएगा. उन्होंने बताया कि चितवन में विभिन्न मौसमों में खिलने वाले कचनार, अमल्तास, सीमल , सीता अशोक , लाल गुलमोहर व पैशन फ्लावर, जैसे सजावटी और फूल वाले पौधे लगाए जाएंगे.
PLANTING TREES IN THE NAME OF ANCESTORS (ETV BHARAT) पूर्वजों की स्मृति भी बनी रहेगी:पाखी वन में पीपल, बरगद, पिलखन, नीम आदि के पौधे होंगे, अंतरिक्ष वन में विभिन्न राशिफल व ग्रहों के प्रतीक पलाश ,ढाक , कटहल गुल्लर, आंवला, कृष्णा नील, चैम्पा, खैर व बेलपत्र के पौधे होंगे. इसी प्रकार आरोग्य वन में औषधीय पौधे होंगे. जिला वन अधिकारी ने कहा कि स्मृति वन में लोग अपने पूर्वजों की याद में पौधारोपण कर सकेंगे इससे न केवल पर्यावरण शुद्ध होगा साथ ही उनके पूर्वजों की स्मृति भी चिरकाल तक बनी रहेगी.
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