चंडीगढ़: हरियाणा के किसानों के लिए खेती को अधिक लाभदायक बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है. चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा की मौजूदगी में करनाल के महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय (MHU) और कोच्चि विश्वविद्यालय ने जापान के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया है. इस समझौते के तहत दोनों विश्वविद्यालय 'इंटरनेट ऑफ प्लांट्स' (IoP) नाम की अत्याधुनिक तकनीक पर मिलकर काम करेंगे, जिससे किसानों को बागवानी फसलों के उत्पादन में लाभ मिलेगा.
बागवानी में IoP तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित होगी! मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा और केंद्र सरकार किसानों की भलाई के लिए लगातार प्रयासरत है. पारंपरिक खेती जैसे गेहूं और धान के स्थान पर अब किसानों को हरियाणा में बागवानी फसलों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस नई तकनीक के माध्यम से किसान सेंसर की मदद से ये जान सकेंगे कि पौधों को कब पानी, खाद या अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता है. इससे फसल उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी.
पॉलीहाउस और लो-टनल खेती में आएगा बदलाव: हरियाणा में वर्तमान में लगभग 4,000 एकड़ भूमि पर पॉलीहाउस में और 6,400 एकड़ भूमि पर लो-टनल विधि से बागवानी फसलों की खेती की जा रही है. इस समझौते के बाद पॉलीहाउस के अंतर्गत क्षेत्रफल बढ़ाने की अपार संभावनाएं खुल जाएंगी. जापान में ये तकनीक पहले से ही सफलतापूर्वक उपयोग की जा रही है और अब इसे हरियाणा के किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. सरकार इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करेगी.
- समझौते का उद्देश्य: बागवानी फसलों के उत्पादन में इंटरनेट ऑफ प्लांट्स (IoP) तकनीक का उपयोग करके किसानों की आय बढ़ाना.
- तकनीक का लाभ: सेंसर-बेस्ड सिस्टम के माध्यम से किसानों को पानी, खाद और अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की जानकारी मिलेगी.
- पॉलीहाउस खेती में सब्सिडी: हरियाणा सरकार पॉलीहाउस में इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान करेगी.
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: संरक्षित खेती के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जाएगा.