लखनऊ : कानपुर लोकसभा सीट पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्य देव पचौरी के बीच सियासी जंग में अब कोई तीसरा मैदान मार सकता है. महापौर चुनाव में दोनों पक्ष अपने-अपने प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत थे. झगड़ा इतना बढ़ा कि पार्टी ने यहां टिकट में कोई बदलाव नहीं किया और एक बार फिर से पूर्व महापौर को ही टिकट दे दिया. कुछ इसी अंदाज में इस बार भी दोनों पक्षों को किनारे करके भारतीय जनता पार्टी नए चेहरे को ला सकती है. कानपुर से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और लोक गायिका मालिनी अवस्थी के नाम फिलहाल चर्चा में हैं.
कानपुर लोकसभा सीट 2014 और 2019 दोनों बार भारतीय जनता पार्टी के ही कब्जे में रही है. वर्ष 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी काबिज हुए थे. जबकि 2019 में सीट पर भाजपा के कानपुर में वरिष्ठ नेता सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की थी. यहां जबसे सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की है विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी के गुट में खींचतान जारी है. पिछले वर्ष हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में कानपुर के महापौर पद पर अपनी पुत्री को चुनाव लड़ना चाहते थे. वहीं सतीश महाना के पास अपनी एक प्रत्याशी थीं. दोनों पक्ष अपने-अपने उम्मीदवार को लेकर अड़े हुए थे. नतीजा यह हुआ की पार्टी को यहां से तीसरे उम्मीदवार यानी वर्तमान महापौर को ही चुनाव में उतरना पड़ा. कुछ ऐसे ही हालात एक बार फिर से बना रहे हैं.
सतीश महाना भी लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव : भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी कानपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वह चाहते हैं कि कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़कर हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकें, क्योंकि एक बार यूपी विधानसभा का अध्यक्ष होने के बाद उनके प्रदेश में राजनीतिक विकास के रास्ते लगभग बंद हो जाएंगे. ऐसे में केंद्र की राजनीति उनके लिए अगला विकल्प होगी.