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यूपी के इस रिटायर्ड कर्मी को बंदूक-पिस्टल नहीं, चाकू का लाइसेंस चाहिए;  आत्मरक्षा के लिए 42 साल से पहले खरीदा था करौली ब्रांड चाकू

UTTAR PRADESH NEWS KANPUR: कानपुर कलेक्ट्रेट से सेवानिवृत्त हैं राकेश यादव, अब तक संभाल कर रखा है चार दशक पुराना लाइसेंस, 2020 के बाद से रिन्यू कराने में हो रही परेशानी, उत्तर प्रदेश पुलिस भी हैरान, नए सिरे से पढ़ रही नियम कायदे

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42 साल से संभाल कर रखा है चाकू का लाइसेंस (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 22, 2024, 7:05 PM IST

Updated : Nov 23, 2024, 11:02 AM IST

कानपुर:आपने देखा होगा कि कुछ लोग रिवाल्वर, बंदूक व फिर कई अन्य हथियारों को रखने के काफी ज्यादा शौकीन होते हैं. इन सभी हथियारों को रखने के लिए लाइसेंस की जरूत होती है. आपने बंदूक, रिवाल्वर के लाइसेंस के रिन्यू के बारे में तो सुना होगा, लेकिन आपने शायद ही कभी चाकू के लाइसेंस के रिन्यू की बात सुनी होगी. यूपी के कानपुर से एक हैरान कर देने वाला दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां एक शख्स को चाकू का लाइसेंस चाहिए.

दरअसल, यह व्यक्ति कानपुर कलेक्ट्रेट से रिटायर्ड है. इन्होंने करीब 42 साल पहले आत्मरक्षा के लिए चाकू का लाइसेंस बनवाया था. चाकू और उसका लाइसेंस दोनों ही संभाल कर रखा है. पर अब जब यह लाइसेंस रिन्यू कराना है, तो उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.



शहर के रावतपुर क्षेत्र के अंतर्गत रहने वाले राकेश यादव ने करीब 42 साल पहले एक करौली चाकू खरीदा था. राकेश के पास उस चाकू का लाइसेंस भी है. अब पूरे शहर में इस बात की चर्चा है, कि वह शहर के ऐसे एक मात्र शख्स है. जिनके पास चाकू का लाइसेंस मौजूद है. वह अपने उस लाइसेंस को कुछ इस तरीके से संभाल कर रखे हुए हैं, जैसे वह उनकी कोई पुरानी धरोहर या फिर पुश्तैनी चीज हो. हालांकि, अब इस लाइसेंस को रिन्यूअल कराने के लिए उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. राकेश ने 2 सितंबर 1982 को करौली चाकू के इस लाइसेंस को अपनी आत्मरक्षा के लिए बनवाया था.

चाकू का लाइसेंस (Photo Credit- ETV Bharat)

राकेश यादव ने बताया, कि वह कलेक्ट्रेट में वाहन चालक के पद पर कार्यरत थे. 2020 में उनका रिटायरमेंट हुआ था. राजेश ने बताया, कि 1982 में मजिस्ट्रेट के ऑफिस के पास ही सीजेएम का ऑफिस था. तब मूसानगर के बदमाश ने गवाह को गोली मार दी थी. इस दौरान राजेश ने उस बदमाश को दबोच लिया था. इस घटना के बाद मजिस्ट्रेट से उसने चाकू के लिए आवेदन कराया था. वही सितंबर 1982 में उसका चाकू का लाइसेंस भी बन गया था. अब वह लाइसेंस का हर साल नवीनीकरण भी कराते हैं. उनका कहना है, कि 2020 के बाद से लाइसेंस के नवीनीकरण को कराने के लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


इस मामले में एडीएम सिटी राजेश कुमार ने बताया, कि इस दौर में किसी के पास चाकू का लाइसेंस होना यह बेहद ही हैरान कर देने वाली बात है. उनका कहना है, कि अभी तक उनके पास इस तरह की समस्या को लेकर कोई भी शख्स नहीं आया है. अगर वह आते हैं तो यह देखना होगा, कि क्या चाकू के लाइसेंस का नवीनीकरण हो सकता है. अगर शासनादेश में नवीनीकरण का प्रावधान होगा तो लाइसेंस रिन्यू होगा. अगर ऐसा नहीं होता है. तो उन्हें लाइसेंस को सरेंडर करना होगा.

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Last Updated : Nov 23, 2024, 11:02 AM IST

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