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कभी अभेद्य था राजा जयचंद का ये किला; आज झेल रहा अतिक्रमण की मार - HISTORICAL FORT KANNAUJ

गहरवार राजवंश के जयचंद उत्तर भारत के अंतिम शक्तिशाली राजा थे. राजा जयचंद के गौरव का प्रतीक किला अब मिट्टी का टीला बन गया है.

राजा जयचंद का ऐतिहासिक किला.
राजा जयचंद का ऐतिहासिक किला. (Photo Credit : ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2025, 4:00 PM IST

कभी अभेद्य था राजा जयचंद का ये किला; आज झेल रहा अतिक्रमण की मार

कन्नौज : गंगा तट पर स्थित कन्नौज का ऐतिहासिक किला राजा हर्षवर्धन और राजा जयचंद के गौरवशाली शासनकाल का गवाह है, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी और पुरातत्व विभाग की अनदेखी से अब यह खंडहर होता जा रहा है. इसके अलावा किले के चारों ओर तमाम अवैध कब्जे हो गए हैं. इन अवैध कब्जों को हटाने में प्रशासनिक स्तर से सिर्फ कागजी दावे और कार्रवाई की हो रही है.

गहरवार राजवंश के राजा जयचंद (21 जून 1170–1194 ई.) उत्तर भारत के अंतिम शक्तिशाली राजा थे. आज के उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ भागों पर उनका राज था. राजा जयचंद के दो संतानें हरिश्चंद्र और संयोगिता थीं. राजा जयचंद के ऐतिहासिक किले की ख्याति विदेश तक है. आज भी लोग दूर-दूर तक इस किले को देखने के लिए आते हैं, लेकिन मौजूदा हालात देखकर मायूसी होती है. किले का उत्तरी छोर जमींदोज हो चुका है. बारिश में मिट्टी कटान की वजह से ऐतिहासिक धरोहर खंडहर होती जा रही है. इसके अलावा तमाम लोगों ने अवैध कब्जा करके रियाइशी मकान बना लिए हैं.

देखें ; राजा जयचंद के ऐतिहासिक किले पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

इतिहास कार अमरनाथ दुबे की मानें तो कन्नौज में राजा जयचंद के किला का गौरवशाली इतिहास है. फिलवक्त किले पर अतिक्रमण है. अगर समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में कन्नौज के इस गौरव का सूर्यास्त हो जाएगा. प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए. इतिहासकारों की मानें तो अतीत में राजा जयचंद का किला अभेज्ञ था. पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर भी यहां गलियों की भूल भुलैया में फंस गए थे. प्रदेश में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने कन्नौज की इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए कुछ नहीं किया. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उपमंडल कार्यालय किले के पास खोला है, लेकिन पुरातत्व कार्यालय के पास ही तमाम अवैध कब्जे हैं. राजा जयचंद की मूर्ति के पास गंदगी फैली हुई है.

राजा जयचंद का ऐतिहासिक किला. (Photo Credit : ETV Bharat)

भारतीय पुरातत्व विधि लखनऊ मंडल के अधीक्षक डॉ. आफताब हुसैन ने बताया कि कन्नौज में पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्थानों पर कब्ज़ा करने वाले 52 लोगों को नोटिस दिया गया है. जिसमें 28 नोटिस राजा जयचंद के किले पर कब्ज़ा करने वालों को दिया गया है. साथ ही मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस को पत्र भेजा गया है. हालांकि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की जानकारी नहीं है.


कन्नौज के जिलाधिकारी शुभ्रांत शुक्ला का कहना है कि मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का है. पुरात्तव विभाग ही अतिक्रणकारियों को नोटिस देता है और वही कार्रवाई करता है. इस मामले में कन्नौज पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि पुरातत्व विभाग से 5 नोटिस कार्रवाई के लिए मिली हैं जो अवैध कब्ज़ा करने वाले लोगों को रोकने के लिए हैं. मुकदमा दर्ज करने के लिए नहीं लिखा है. नोटिस में सिर्फ कारण बताओ का जिक्र है. नोटिस का संज्ञान में लेकर दिए गए आरोपियों के खिलाफ अवैध कब्ज़ा रोकने के लिए कार्रवाई की जाएगी. कोतवाली निरीक्षक कपिल दुबे ने बताया कि सभी मुकदमों में पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. मुकदमा कोर्ट में है.

किले के पास रहने वाले पिंटू ने बताया कि किसी समय किला बहुत बड़ा दिखता था. कब्ज़े हो जाने से किले का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. किसी प्रकार की कोई कार्रवाई प्रशासन स्तर से अवैध कब्जेदारों पर नहीं हो रही है. कई लोगों ने किले की जमीन पर अवैध कब्ज़े कर रखे हैं. ऐसे लोगों पर ठोस कार्रवाई न करके उन्हें सरकारी आवास देने की बात कही जा रही है. किले के संरक्षण को लेकर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. किले की कटान रोकने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

आरोपियों के नाम :शीबू, अमन, जय सिंह, ग्रीश, लाला, हर्ष कुमार, रईस, इकराम, मुन्ना, गुड्डू, रोहित, कमल दिवाकर, मुन्ना, शिवम, अनवर, उदय, सरताज, ऊषा दुबे, शिवपाल यादव, राजेश यादव, अजय, अनिल नागर, संजू नागर, मुंशी लाल, नवाब राजपूत, अनवरी बेगम, शालू कटियार, रमेश, गिरीश पाल, राम नरेश, रामेन्द्र, नीरज, कैलाश, अजीब खां, राम किशन, शोभा राजपूत, रमेश नाथ यादव, गुड्डू राठौर, हरिराम दिवाकर, राकेश दिवाकर, राम बच्चन यादव, नीरज कुमार, प्रेम सागर, कमल, मुकेश कुमार, विशाल राजपूत, सुमन, मनीष दिवाकर, राम बच्चन यादव, अब्दुल कलाम, रिजवान, अरुण नारायण, सद्दू, किशोरी पाल, सुड्डू, मुख्तार, प्रेम कुमार, जवाहर दोहरे, लकी, संजय अवस्थी, अनुज वर्मा, संजय मिश्रा, विशाल, रानी देवी, जितेन्द्र सिंह, श्रीपाल, महेश राजपूत.

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