कांकेर : छत्तीसगढ़ सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है.हाल ही में बस्तर में मैराथन का आयोजन किया गया.ताकि बस्तर की खोई प्रतिभा सामने आ सके.लेकिन बस्तर का उत्तरी हिस्सा शायद इतना खुशनसीब नहीं है.क्योंकि यहां के सबसे बड़े जिले कांकेर में खेलों को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं.खेलों को बढ़ावा देने के लिए कांकेर में एक मिनी स्टेडियम का निर्माण किया जाना था.लेकिन आज तक इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका है.
छह साल से निर्माण अधूरा : मिनी स्टेडियम को6 साल पहले 4 करोड़ की लागत से सर्वसुविधायुक्त खेल मैदान के रूप में विकसित किया जाना था. जहां फुटबाल, कबड्डी, बालीबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, एथलेटिक्स खेल के आयोजन होने थे.लेकिन 6 साल बाद भी स्टेडियम निर्माण की बांट जोह रहा है. जो थोड़े बहुत निर्माण हुए वो भी कबाड़ में तब्दील हो गए.
शराबियों का अड्डा बना स्टेडियम : मिनी स्टेडियम में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं.चारों तरफ स्टेडियम में झाड़ियां उग आई हैं. बच्चों के खेलने के लिए जो जगह बची है, वहां शराब की बोतलें बिखरी पड़ी रहती हैं. शाम होते ही ये स्टेडियम शराबियों का अड्डा बन जाता है. 6 साल बाद भी ठेकेदार ने अब तक सिर्फ डोम का ही निर्माण किया है. खेल मैदान परिसर 4 एकड़ क्षेत्र में बनना था. जहां फुटबाल, कबड्डी, बॉलीबाल, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, एथलेटिक्स खेल हो पाते. लेकिन ऐसा हो ना सका.नगर से नेशनल स्तरीय खेलों में शामिल रही भूमिका यादव और दुर्गेश्वरी गोस्वामी बताती है कि स्टेडियम में असमाजिक तत्व और गंदगी के कारण उन्हें परेशानी होती है.
कई बार स्टेडियम को सुधारने के लिए आवेदन दिया लेकिन कुछ नही हुआ है. बहुत सी लडकिया को खेलना आना बंद कर दी है. सस्टेडियम का निर्माण कराया जा रहा था लेकिन कई सालों से बंद है- दुर्गेश्वरी गोस्वामी, एथलीट
नगर में मैदानों की कमी है साल 2018 से मिनी स्टेडियम में खेल बंद हो गया.इसका निर्माण कराया जा रहा था. लेकिन निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है.नगर के बच्चे गलियों में खेल रहे हैं.-घनेंद्र ठाकुर,नागरिक