पटना:घटस्थापना, जिसे कलश स्थापना के रूप में भी जाना जाता है, जो शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है. इस साल यह आज गुरुवार यानी 3 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इसी के साथ देवी शक्ति का आह्वान है और नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित जीवंत और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे पूरे भारत में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है, बिहार में भी नवारात्रि को लेकर लोगों में काफी उत्साह है.
नवरात्रि का प्रत्येक दिन है खास: यह नौ दिवसीय उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. जिस दौरान लाखों लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं. 2024 में नवरात्रि गुरुवार, 3 अक्टूबर यानि आज से शुरू हो रही है और शनिवार 12 अक्टूबर को समाप्त होगी. नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी के एक विशेष रूप से जुड़ा होता है, जिसकी पूजा की जाती है.
आज के दिन मां शैलपुत्री को करें प्रसन्न: आज पहले दिन गुरुवार, 3 अक्टूबर को घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है. जिसमें एक पवित्र बर्तन या कलश को स्थापित किया जाता है, जो देवी दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक है. भक्त मां दुर्गा के पहले रूप, देवी शैलपुत्री की पूजा करते हैं, जो शक्ति और ज्ञान की देवी हैं. वो पीला रंग खुशी और ऊर्जा का प्रतीक हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से होगा ये लाभ: आज दूसरे दिन शुक्रवार, 4 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जो प्रेम, भक्ति और शांति का रूप हैं. इस दिन चंद्र दर्शन किया जाता है, मां चंद्रमा के दर्शन का प्रतीक हैं, हरा रंग पहना जाता है, जो विकास और नवीनीकरण को दिखाता है.
बहादुरी और योद्धा भावना का प्रतीक हैं ये देवी: तीसरे दिन शनिवार, 5 अक्टूबर को भक्त देवी चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, जो अपनी बहादुरी और योद्धा भावना के लिए जानी जाती हैं. इस दिन सिंदूर तृतीया अनुष्ठान भी किया जाता है, जो विवाहित महिलाओं की शक्ति का प्रतीक है.जीवन में संतुलन और शांति का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रे रंग इस दिन के लिए खास माना जाता है.
इस दिन होती है देवी कुष्मांडा की पूजा: चौथे दिन रविवार, 6 अक्टूबर को देवी कुष्मांडा की भी पूजा की जाती है. मां का प्रिय रंग नारंगी रंग है. इस दिन इस रंग के कपड़े पहने चाहिए. जो उत्साह और एनर्जी का प्रतीक है. इस दिन देवी की पूजा के दौरान उन्हें फलों का भोग लगाएं.
इस दिन करें स्कंदमाता की उपासना: पांचवे दिन सोमवार, 7 अक्टूबर, स्कंदमाता की उपासना की जाती है. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता हैं इस लिए इन्हें ये नाम दिया गया है. भगवान स्कंद बालरूप में मां के गोद में विराजित हैं. माना जाता है कि वे अपने भक्तों के जीवन में खुशियां, सकारात्मकता और समृद्धि लाती हैं.