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देश के लिए बुरा दौर था 25 जून 1975 का आपातकाल, संपूर्ण क्रांति का नारा देकर जेपी ने बदली तस्वीर - Loknayak Jay Prakash Narayan

JP Narayan On Bihar Politics: एक समय ऐसा था जब लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर पूरा देश उद्वेलित हो गया था. यही वजह थी कि इंदिरा गांधी ने रातों-रात आपातकाल की घोषणा कर दी थी. लेकिन जयप्रकाश नारायण ने जिन सपनों को संजोया था वह आज भी अधूरे हैं. बिहार एक बार फिर जेपी की ओर देखने की जरुरत महसूस कर रहा है.

JP Narayan On Bihar Politics
30 साल में जेपी के सपने नहीं हुए पूरे (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 25, 2024, 7:56 PM IST

बुरे सपने से कम नहीं था 25 जून 1975 (Etv Bharat)

पटना: पिछले 34 साल से बिहार की सत्ता पर जेपी आंदोलन के गर्भ से निकले नेताओं का कब्जा है. जेपी के सपनों को सच करने की जिम्मेदारी इन्हीं नेताओं के कंधों पर थी. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जयप्रकाश नारायण के करीबी नेताओं में से एक थे. इन्होंने ही जयप्रकाश नारायण के सपनों का बिहार बनाने का बीड़ा उठाया था.

बुरे सपने से कम नहीं था 25 जून:25 जून 1975 का दिन जेपी के लिए बुरे सपने से कम नहीं था. इंदिरा गांधी ने रातों-रात आपातकाल की घोषणा कर दी थी और 35,000 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था. जयप्रकाश नारायण की भी गिरफ्तारी हो गई थी. रात 12 बजे इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की और राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली से हस्ताक्षर करा सुबह कैबिनेट के सदस्यों को सूचना दी गई. वहीं, संचार माध्यम कम होने की वजह से लोगों को देरी से आपातकाल के बारे में जानकारी मिली. सुबह ज्यादातर अखबार प्रकाशित नहीं हुए थे और अफवाहों का बाजार गर्म हो रहा था. धीरे-धीरे लोगों को यह यकीन हो गया कि देश में आपातकाल लागू कर दिया गया है.

संपूर्ण क्रांति का नारा देकर फूंका बिगुल:आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने अपनी जेल डायरी में लिखा था कि मैं लोकतंत्र के क्षितिज को व्यापक बनाने की कोशिश कर रहा हूं. आंदोलन के जरिए जयप्रकाश नारायण ने देश के अंदर तूफान उठाया और पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोरने का काम किया. संपूर्ण क्रांति का नारा देकर जयप्रकाश नारायण ने विद्रोह का बिगुल फूंका था. देश से भ्रष्टाचार मिटाना बेरोजगारी दूर करना और शिक्षा में क्रांति लाना जयप्रकाश नारायण की प्राथमिकता थी.

परिवारवाद के खिलाफ थे: वह चाहते थे की संपूर्ण व्यवस्था को बदल दी जाए और संपूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति आवश्यक है. जयप्रकाश नारायण राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ थे. जयप्रकाश नारायण शिक्षा में सुधार के लिए कॉमन स्कूल सिस्टम लागू करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ कई बार चर्चा भी की थी.

राइट टू रिकॉल से बदलती तस्वीर:इस व्यवस्था के जरिए जयप्रकाश नारायण को शिक्षा में आमूल चूल बदलाव की उम्मीद थी. नीतीश सरकार ने मुचकुन्द दुबे कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने रिपोर्ट भी दे दिया था लेकिन बाद में रिपोर्ट को ठंडा वस्ते में डाल दिया गया. इसके अलावा जयप्रकाश नारायण राइट टू रिकॉल के हिमायती थे. अगर आप किसी जनप्रतिनिधि को 5 साल के लिए चुन लेते हैं और वह आपकी उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं कर पता है तो वैसे स्थिति में आप वोटिंग के जरिए उन्हें हटा सकते हैं.

भूमि सुधार को लेकर थी चिंता: ऐसी व्यवस्था कायम करने के लिए जेपी ने अपने शिष्यों से कहा था लेकिन आज तक इस पर किसी ने विमर्श नहीं किया. नीतीश कुमार ने एक बार बिहार विधानसभा में जरूर राइट टू रिकॉर्ड को लागू करने की बात कही थी. लेकिन उनके बयान के बाद किसी तरह की पहल नहीं हुई. भूमि सुधार को लेकर भी जेपी की चिंता थी. जयप्रकाश नारायण चाहते थे कि राज्य में भूमि सुधार हो और रैयत के पक्ष में भी कानून बने. भूमि सुधार के लिए नीति सरकार ने एक कमेटी का गठन भी किया था. लेकिन उसकी रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया जा सका.

चुनाव प्रक्रिया में सुधार चाहते थे: जयप्रकाश नारायण चुनाव प्रक्रिया में सुधार भी चाहते थे. बूथ लूट को लेकर भी उनकी चिंता थी. हालांकि बाद में एवं आने के बाद बूथ लूट की घटना पर रोक लग गई. महंगे चुनाव प्रणाली को लेकर भी जयप्रकाश नारायण की चिंता थी. वह चाहते थे कि चुनाव प्रक्रिया ऐसी हो जिसके तहत गरीब से गरीब आदमी भी चुनाव में हिस्सा ले सके.

परिवारवाद शिष्टाचार बन गया है:बुद्धिजीवी और जयप्रकाश नारायण को करीब से समझने वाले शख्सियत प्रेम कुमार मणि मानते हैं कि आज की स्थिति में एक बार फिर जयप्रकाश नारायण की ओर देखने की जरूरत है. जिस तरीके से शिक्षा के क्षेत्र में अराजकता है. परिवारवाद और भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया है. वैसे स्थिति में जेपी के विचारों के जरिए ही लोकतंत्र को मजबूत की जा सकती है.

"जयप्रकाश नारायण चाहते थे कि हमारा लोकतंत्र पिरामिड की तरह हो. नीचे अधिक शक्ति होनी चाहिए और ऊपर काम शक्ति होनी चाहिए. लेकिन आज स्थिति उल्टी है. जयप्रकाश नारायण दल विहीन राजनीति की बात करते थे. राजनीति में वह ऐसी व्यवस्था काम करना चाहते थे जिसमें दल की प्रमुखता ना हो. जयप्रकाश नारायण कॉमन स्कूल सिस्टम के जरिए शिक्षा में सुधार चाहते थे." - प्रेम कुमार मणि

संघर्ष से सत्ता का हिस्सा बन जाते:प्रेम कुमार मणि ने कहा कि नीतीश कुमार ने पंचायत में आरक्षण देकर एक अच्छा काम किया था जिसका फायदा उन्हें आज भी मिल रहा है. जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे नेता और भाजपा विधायक अरुण कुमार का मानना है कि जयप्रकाश नारायण आज भी प्रासंगिक हैं. उनके विचारों के जरिए हम आगे बढ़ सकते हैं. सत्ता से संघर्ष करते-करते हम खुद सत्ता का हिस्सा बन जाते हैं. जबकि जरूरत इस बात की है कि जेपी के अनुयायियों को सत्ता का मोह नहीं रखना चाहिए.

"जेपी के बताए रास्तों पर चलकर बिहार की तरक्की की जा सकती थी. लेकिन जेपी के शिष्य ही रास्तों से भटक गए, जिसके कारण उनके सपने आज भी अधूरे हैं. राजनीतिक दलों के अंदर ही लोकतंत्र नहीं रह गया है. पार्टी के अध्यक्ष 15 और 20 साल से अपने पद पर कायम है." - प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार

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