रांची: झारखंड में चुनावी समर में लगभग सभी दल कूद चुके हैं. रणनीति तैयार हो रही है, अपने चहेते नेताओं के बैनर-पोस्टर्स तैयार किए जा रहे हैं. इसके साथ तस्वीर के साथ आकर्षक नारे भी लिखे जा रहे हैं. 2019 विधानसभा में हेमंत है तो हिम्मत के स्लोगन के साथ चुनावी नैया पार लगाई थी. इस बार पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की तस्वीर के साथ झारखंड... झुकेगा नहीं का नारा झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से बुलंद किया जा रहा है.
वर्ष 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष के रूप में हेमंत सोरेन जब चुनावी सभाएं करते थे. तब तत्कालीन रघुवर दास की सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए जो नारे चुनावी लगते थे उसमें हेमंत है तो हिम्मत है का नारा प्रमुख था. तत्कालीन सरकार के पांच साल के कार्यों से नाखुश जनता ने हेमन्त से हिम्मत मिलने का भरोसा दिखाया तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इसी नारे और वादों के भरोसे 2019 की चुनावी नैया पार कर गयी. महागठबंधन के स्पष्ट बहुमत की सरकार 2019 के दिसंबर महीने में बन भी गयी, जिसके मुखिया हेमंत सोरेन बने. इन चार वर्षों में हेमंत सरकार ने अपने कई वादें पूरे किए तो कई अधूरे ही रहे. राजनीतिक और कानूनी पेंच में हेमंत सोरेन फंसते चले गए और अंततः ED द्वारा अपनी गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की गद्दी भी छोड़नी पड़ी.
उनके उत्तराधिकारी के रूप में चंपई सोरेन आज मुख्यमंत्री हैं, कैबिनेट का विस्तार हो चुका है. इसके बावजूद 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव की नैया पार करने के लिए इस बार भी हेमंत सोरेन के नाम और तस्वीर की जरूरत न सिर्फ झामुमो को है बल्कि पूरे गठबंधन को है. यही वजह है कि जब ED ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया और उन्हें 13 दिन का रिमांड पर लिया तो झामुमो के साथ साथ पूरा महागठबंधन ने इसे झारखंड के स्वाभिमान से जोड़ते हुए आंदोलन तेज किया. साथ ही केंद्र की तानाशाही सरकार के खिलाफ एक आदिवासी युवा नेता का उलगुलान बताते हुए इस मुद्दे को भी राज्य के आदिवासियों, पिछड़े, दलित से जोड़ दिया और नया नारा दिया "झारखंड... झुकेगा नहीं".
झारखंड... झुकेगा नहीं स्लोगन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 2024 की चुनावी लड़ाई को जीतने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है. पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की बड़ी बड़ी तस्वीर और "झारखंड...झुकेगा नहीं" के स्लोगन वाले बड़े-बड़े होर्डिंग्स राजधानी में लगाये गए हैं. इसके साथ पार्टी की रणनीति के तहत इसे गांव-गांव घर-घर तक पहुंचायी जा रही है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा और महागठबंधन नेताओं की सोच है कि जिस तरह से 2019 से ही भाजपा लगातार जनता के वोट से जीत कर आई सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश करती रही है. अंततः ED द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी होने से पहले रांची उनके आवास पर CRPF भेजने, दिल्ली में ED की अचानक कार्रवाई जैसे मुद्दे को वह राज्य की अस्मिता से जोड़ने में सफल हो गए तो फिर 2024 के चुनाव में भाजपा कहीं टिक भी नहीं सकेगी. यही वजह है कि ED की रिमांड के दौरान हेमंत सोरेन के साथ अमानवीय व्यवहार का आरोप झामुमो की ओर से लगातार लगाया जाता रहा है.