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पारसनाथ जुग जाहेरथान विवाद पर झामुमो और कांग्रेस आमने-सामने! भाजपा की ओर से भी दी गई तीखी प्रतिक्रिया - JUG JAHERTHAN

जुग जाहेरथान में बलि और कार्रवाई के बाद झारखंड में राजनीति शुरू हो गई है. इंडिया ब्लॉक के दो प्रमुख दल मामले में आमने-सामने हैं.

JMM And Congress Face To Face
झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय, भाजपा प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा और कांग्रेस प्रवक्ता रूमी खुर्शीद. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 13, 2025, 8:29 PM IST

रांची:पारसनाथ स्थित जुग जाहेरथान विवाद को लेकर आदिवासियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी. अब इस मुद्दे पर झारखंड में राजनीति भी शुरू हो गई है. यहां तक कि इंडिया ब्लॉक के दो बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस मामले में आमने-सामने हैं. जबकि झारखंड भाजपा की ओर से भी बयान दिया गया है.

आदिवासी हितों से समझौता नहीं होगाः मनोज पांडेय

मामले में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने दो टूक शब्दों में कहा कि हेमंत सोरेन को किसी की सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि झारखंड आदिवासियों और मूलवासियों का प्रदेश है और उनके लिए ही झारखंड का निर्माण हुआ है. रही बात जाहेरथान कि तो जो भी हेमंत सोरेन की सोच है निश्चित रूप से उसका पालन होगा. उन्होंने कहा कि जैन समाज की अपनी सोच है. उनका अपना धर्म और रीति-रिवाज है, लेकिन उनके रीति-रिवाजों को देखते हुए आदिवासी अपना रीति-रिवाज बदल दें, यह उचित नहीं होगा. हालांकि बलि के बाद हुई एफआईआर पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन राज्य में आदिवासी हितों से समझौता नहीं होगा.

झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय, कांग्रेस प्रवक्ता रूमी खुर्शीद और भाजपा प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

बलि प्रथा अन्याय और जुल्मः रूमी खुर्शीद

वहीं दूसरी ओर मामले में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रूमी खुर्शीद ने कहा कि बलि प्रथा आज से 100 साल पहले के मामलात हो सकते हैं, लेकिन आज के मॉर्डन युग में ये कुप्रथा नहीं चलेगी. ये अन्याय और जुल्म है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन गिरिडीह गए थे. वहां कुछ लोगों ने बलि दी थी. जिसपर एफआईआर दर्ज हुई थी. मैं मामले कार्रवाई की मांग करता हूं. उन्होंने कहा कि इसका विरोध हर स्तर पर होना चाहिए. समाज को ऊपर आने के लिए इन कुप्रथाओं से अलग हटना चाहिए. हम इसका समर्थन नहीं करते. महागठबंधन की सरकार इसका विरोध करती है और इसके खिलाफ जो संभव कार्रवाई होगी की जाएगी.

एक सवाल से जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा, राजद और कांग्रेस के गठबंधन से सरकार चल रही है. ऐसे में कोई एक दल कोई कार्यक्रम करना चाहेगा और कोई दूसरा दल उसका विरोध करेगा ऐसा नहीं चल सकता. इसके लिए महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनी हुई है. कमेटी में जो चीजें तय होगी सरकार को उसका क्रियान्वयन करना है और इस सरकार को मजबूती से चलाने के लिए गठबंधन को साथ लेकर चलना होगा.

धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना ठीक नहींः प्रदीप सिन्हा

इधर, जुग जाहेरथान को लेकर उठे विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि जानबूझकर किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए.बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि कोई भी समाज हो उसके धर्म का हर लोगों को सम्मान करना चाहिए. पारसनाथ जैनियों का पवित्र तीर्थ स्थल है और वहां पर किसी भी तरह की हिंसा पर रोक है. जिन लोगों ने बलि दी थी उन लोगों पर मुकदमे हुए और प्रक्रिया के तहत नोटिस भेजी जा रही है.

समाज को लड़ाने वाले लोगों को किनारे करने की आवश्यकता है. पारसनाथ को लेकर समाज के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश की जा रही है. एक पक्ष वहां अपना दावा करता रहा है, जबकि जैन धर्म के लोगों का पवित्र स्थान माना जाता है. पारसनाथ जैनियों के धार्मिक आस्था का केंद्र है. इसलिए इसके साथ खिलवाड़ करने की इजाजत कम से कम राज्य सरकार को तो नहीं ही देनी चाहिए.

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, 19 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन और समर्थकों के साथ दिशोम मांझीथान में पूजा करने गए थे. इस दौरान डीसी के साथ एसपी और बीडीओ भी मौजूद थे. मांझीथान में मुख्यमंत्री ने 10 बकरों को अक्षत खिलाया था. इसके बाद पूजा में मुख्य भूमिका निभा रहे बाबूराम सोरेन (भारती चलकरी) और पुजारी चांदोलाल टुडू से समाज के लोगों ने पूछा कि बकरों की बलि दी जाएगी या नहीं. उस समय यह बताया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा अक्षत खिलाए गए बकरों की बलि नहीं दी जाएगी तो किसकी बलि दी जाएगी ? बैसी के नेताओं का कहना है कि उस दिन जब मुख्यमंत्री मांझीथान से जाने लगे तो पुजारी के आदेशानुसार 10 बकरों में से एक की बलि दे दी गई. शेष 09 बकरों को लेकर मुख्यमंत्री के कुछ समर्थक वहां से चले गए.

आदिवासी नेताओं के अनुसार हम सभी आदिवासी लोग बकरे को अक्षत खिलाते हैं और वहीं पर उसकी बलि देते हैं. आदिवासियों के धार्मिक अनुष्ठानों में यही परंपरा रही है. यहां सीएम ने दोहरा चरित्र अपनाया. हम आदिवासी सवाल करते हैं कि अगर हेमंत सोरेन जी को जुग जाहेरथान, दिशोम मांझीथान और मरांग बुरु पर भरोसा है, तो वह इसका खुलकर ऐलान करें और जैन धर्म और आदिवासियों की संस्कृति के बीच भ्रम को दूर करने का संतुलित रास्ता निकालकर आदिवासी समाज का दिल जीतने का काम करें. आदिवासी धार्मिक नेताओं के अनुसार 19 जुलाई 2024 को पूजा के बाद बलि को असामाजिक बताकर मामला दर्ज कर दिया गया .

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