रांचीः लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा किसी भी समय की जा सकती है. लेकिन झारखंड पुलिस लोकसभा चुनाव को लेकर पहले से ही कमर कस चुकी है. झारखंड पुलिस लोकसभा चुनाव को लेकर दोहरे अभियान पर है. एक तरफ नक्सलियों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ नक्सल इलाके में रहने वाले ग्रामीणों को वोट की ताकत क्या होता है, यह भी समझाया जा रहा है.
अभियान जारी, सभी जिलों को मिला है बलः
झारखंड में लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए झारखंड पुलिस में अभी से पूरा जोर लगा रखा है. झारखंड के सभी जिलों में पूर्व से ही अर्धसैनिक बलों की एक-एक कंपनियों को तैनात किया जा चुका है, जो नक्सलियों के खिलाफ अभियान तो चला ही रहे हैं. साथ ही साथ नक्सलियों के खौफ के साए में जीने वाले ग्रामीणों को भी यह बता रहे हैं कि वोट की ताकत कितनी बड़ी होती है. झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि वैसे स्थान जो बेहद दुरूह है, वहां पर पुलिस सबसे ज्यादा काम कर रही है. ग्रामीणों के बीच हमारे जवान पहुंच रहे हैं और उन्हें यह बता रहे हैं कि पुलिस उनके साथ है वे नक्सलियों से जरा भी न डरें और लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता दिखाएं.
सभी जिलों में चुनाव पूर्व भेजे गए बलः
झारखंड में चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए केंद्रीय बलों की लगभग 200 कंपनियों की मांग की गई है. हालांकि उससे पूर्व ही 23 जिलों में केंद्रीय बलों की एक-एक कंपनी को प्री पोल के लिए भेज दिया गया है. 23 जिलों में से 18 जिलों में एक-एक कंपनी सीआरपीएफ और 5 जिलों में एक-एक कंपनी एसएसबी की तनाती की गई है. पलामू जिला में सबसे अधिक दो कंपनी सीआरपीएफ को तैनात किया गया है. पुलिस मुख्यालय के द्वारा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को यह निर्देश दिया गया है कि वह जिलों के पुलिस कप्तानों से सामंजस्य से बिठाकर नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान चलाकर इलाके को अपने प्रभाव में लें, एरिया डोमिनेशन की कार्रवाई करें साथ ही साथ ग्रामीणों को वोट के लिए भी जागरूक करें.
पांच बिंदुओं पर रखा जा रहा ध्यानः