रांचीः झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को अब तक किताब नहीं मिली हैं. यह मामला पिछले मानसून सत्र के दौरान भी सदन में उठा था. हालांकि इसके बाद शिक्षा विभाग ने तत्परता जरूर दिखाई और बीआरसी के माध्यम से स्कूलों को किताब मुहैया कराने में तेजी लाई है. इसके बाबजूद बच्चों की संख्या के अनुपात में इस सत्र का किताब नहीं मिल पायी हैं.
हालांकि शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम स्कूलों में किताबें भेजने का दावा जरूर करते नजर आते हैं. मंत्री यह स्वीकारते भी हैं कि विलंब से बच्चों को किताबें मिल रही हैं. इसके पीछे लोकसभा चुनाव के कारण जारी आचार संहिता को बड़ी वजह बताते हैं. मगर वास्तविकता यह है कि पाठ्य पुस्तकों के वितरण में किसी तरह की आचार संहिता उल्लंघन की बाधा नहीं थी. विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक छपाई में हुई देरी की वजह से किताबें समय से बच्चों तक नहीं पहुंच पायी हैं.
राज्य में कक्षा एक से दस तक 46 लाख 30 हजार 475 विद्यार्थी
झारखंड सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त किताब और पोशाक देती है. इसके तहत राज्य में कक्षा एक से दस तक 46,30,475 विद्यार्थी हैं जबकि 11-12वीं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या करीब 5 लाख है. शिक्षा विभाग का दावा है कि इस साल 90 फीसदी से अधिक विद्यार्थियों को किताबें मिल गई हैं. शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम हालांकि 11-12वीं के विद्यार्थियों को किताब मिलने में देरी होने की बात स्वीकारते हुए कहा है कि विद्यार्थियों की संख्या से कम किताब छपने की वजह से यह समस्या हुई है जिसे शीघ्र दूर किया जा रहा है.