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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: जामा विधानसभा सीट पर खतरे में झामुमो का दबदबा? आमने-सामने होंगे देवर-भाभी - Jharkhand Assembly Elections 2024

Jharkhand Elections 2024 Jama Assembly Seat. जामा विधानसभा सीट झामुमो की पारंपरिक सीट रही है. यहां हुए 13 चुनावों में 8 बार झामुमो ने बाजी मारी है. इसी सीट से शिबू सोरेन, दुर्गा सोरेन और फिर सीता सोरेन विधायक रहीं हैं. इस सीट पर हैट्रिक जमाने के बाद अब सीता बीजेपी में हैं. लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से वह इस सीट से उम्मीदवार नहीं बन पाएंगी. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शिबू सोरेन की तीसरी पीढ़ी अब यहां से चुनाव लड़ेगी. इस रिपोर्ट में जानिए इस सीट का पूरा समीकरण.

JAMA ASSEMBLY SEAT
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 3, 2024, 12:10 PM IST

दुमका:वैसे तो संथाल परगना को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. पर उसमें दुमका जिले का एसटी रिजर्व जामा विधानसभा एक ऐसी सीट है जिस पर सोरेन परिवार का एकछत्र राज है. जामा विधानसभा क्षेत्र में करीब 45 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 6 फीसदी यादव और 22 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां हैं. यहां से शिबू सोरेन के साथ उनके पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन और फिर दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन विधायक रह चुकी हैं. पर इस बार इस क्षेत्र की परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी है, झामुमो की टिकट पर लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही सीता सोरेन अब भाजपा में हैं. जबकि झामुमों की भी इस इलाके में अच्छी पकड़ है.

1980 से आठ में सात बार झामुमो ने मारी है बाजी

अगर हम पिछले चार दशक से हो रहे चुनाव की बात करें तो 1980 से अब तक जामा क्षेत्र में आठ बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं. जिसमें सात बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाजी मारी है. जबकि सिर्फ एक बार 2005 में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी. 44 वर्ष पहले 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के देवान सोरेन ने यहां से चुनाव जीता था. 1984 के लोकसभा चुनाव में जब शिबू सोरेन कांग्रेस प्रत्याशी से इलेक्शन हार गए थे, तो उन्होंने 1985 के विधानसभा चुनाव में जामा से अपना भाग्य आजमाया था और विजयी हुए थे.

सीता सोरेन (ईटीवी भारत)

1990 के चुनाव में झामुमो ने यहां से मोहर्रिल मुर्मू को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की थी. पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ने जब अपने बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को राजनीति में उतारा तो उनके लिए एक सीट की तलाश थी. 1995 के विधानसभा चुनाव में गुरुजी ने अपने पुत्र दुर्गा सोरेन को जामा सीट की टिकट थमाई और दुर्गा ने यहां शानदार जीत दर्ज की. 2000 के चुनाव में लगातार दूसरी बार दुर्गा सोरेन यहीं से विधायक बने, लेकिन 2005 के चुनाव में दुर्गा सोरेन के काफी नजदीकी कार्यकर्ता सुनील सोरेन से उनकी अनबन हो गई थी. भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाया और सुनील सोरेन को अपनी पार्टी में लाकर प्रत्याशी बना दिया. सुनील सोरेन बीजेपी के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने दुर्गा सोरेन को शिकस्त देकर जामा सीट को भाजपा के झोली में डाल दी.

जामा विधानसभा सीट का इतिहास

2019 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
सीता सोरेन जेएमएम 60925
सुरेश मुर्मू बीजेपी 58499
अर्जुन मरांडी जेेवीएम 5897
2014 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
सीता सोरेन जेएमएम 53250
सुरेश मुर्मू बीजेपी 50344
सुखलाल सोरेन जेेवीएम 9263
2009 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
सीता सोरेन जेएमएम 38550
लुखी राम टुडू एलटीएसडी 1572
2005 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम
प्रत्याशी का नाम पार्टी प्राप्त मत
सुनील सोरेन बीजेपी 44073
दुर्गा सोरेन झामुमो 37443
मनोज कुमार सिंह आरजेडी 4254
जामा में वर्ष 1967 से लेकर 2000 तक के विधायक
वर्ष उम्मीदवार पार्टी
1967 मुंशी हासंदा निर्दलीय
1969 मदन बेसरा कांग्रेस
1972 मदन बेसरा कांग्रेस
1977 मदन बेसरा कांग्रेस
1980 देवान सोरेन जेएमएम
1985 शिबू सोरेन जेएमएम
1990 मोहरिल मुर्मू जेएमएम
1995 दुर्गा सोरेन जेएमएम
2000 दुर्गा सोरेन जेएमएम



2009 में सीता सोरेन आईं राजनीतिक मैदान में

2009 में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की मृत्यु हो गई और इसी वर्ष जब चुनाव हुए तो गुरुजी ने अपने पुत्रवधू सीता सोरेन को जामा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा. इधर भाजपा ने 2005 के विधायक सुनील सोरेन को 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ाया था और जब वे यह चुनाव शिबू सोरेन से हार गए थे, तब उनका विधानसभा टिकट भी काट दिया और उनकी जगह भाजपा प्रत्याशी बने मनोज सिंह पहाड़िया. मतलब पहली बार चुनाव लड़ रही सीता सोरेन के सामने मनोज सिंह पहाड़िया भाजपा के उम्मीदवार थे. इस चुनाव में सीता सोरेन ने बड़े आराम से दस हजार से अधिक मतों से चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची. इसके बाद 2014 और 2019 का चुनाव जीतकर सीता सोरेन में हैट्रिक लगाई.

2024 में सीता सोरेन शामिल हुई भाजपा में

लगातार जामा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार चुनाव जीतने वाली सीता सोरेन ने 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले एक बड़ा कदम उठाया और झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. भाजपा ने उन्हें दुमका लोकसभा का प्रत्याशी बनाया पर वह लगभग 22 हजार मतों से यह चुनाव झामुमो के नलिन सोरेन से हार गईं.

जामा की बदल चुकी है परिस्थितियां

कुछ ही दिनों में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित जामा विधानसभा क्षेत्र की परिस्थितियों बिल्कुल बदल चुकी हैं. लगातार तीन बार की विधायक सीता सोरेन अब भाजपा से जुड़ गईं हैं. पर समस्या यह है कि कुछ वैधानिक नियमों की वजह से वह यहां की उम्मीदवार नहीं बन सकती हैं. ऐसे में वे चर्चा है कि वे अपनी बेटी के लिए इस सीट पर बातचीत कर रही हैं. बड़ा सवाल ये भी है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा यहां से किसे अपना उम्मीदवार बनाती है ये भी साफ नहीं है. कई नेता अपनी टिकट के लिए चक्कर लगा रहे हैं.

इस मामले पर संथाल क्षेत्र के राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार शिवशंकर चौधरी कहते हैं कि जामा विधानसभा सीट पर प्रत्याशी कौन होगा इसे लेकर झामुमो में काफी मंथन चल रहा है. यह सीट उनके लिए काफी प्रतिष्ठा की है, इसलिए काफी सोच समझकर प्रत्याशी का फैसला होगा. शिवशंकर चौधरी कि माने तो यहां से सोरेन परिवार का कोई सदस्य लड़े या फिर कोई समर्पित कार्यकर्ता, झामुमो में इस पर विचार किया जा रहा है. फिलहाल ऐसा कोई भी एक नाम नहीं है जो उभर सामने आ रहा है.

जामा का टिकट किसे थमाया जाए इस पर भारतीय जनता पार्टी में भी सब कुछ साफ नहीं है. लगातार तीन बार की विधायक सीता सोरेन भले ही बीजेपी में हैं लेकिन वैधानिक नियमों के कारण विधानसभा का टिकट नहीं दिया जा सकता है. ऐसे में इस सीट के लिए काफी विचार किया जाएगा. राजनीतिक विश्लेषक शिवशंकर चौधरी यहां तीन नाम बता रहे हैं. पहला नाम सीता सोरेन की पुत्री जयश्री सोरेन, दूसरा सुनील सोरेन और तीसरा नाम सुरेश मुर्मू का है. वैसे सुरेश मुर्मू लगातार दो बार से भाजपा प्रत्याशी बन रहे हैं पर सफलता दूर है.

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