दुमका:वैसे तो संथाल परगना को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. पर उसमें दुमका जिले का एसटी रिजर्व जामा विधानसभा एक ऐसी सीट है जिस पर सोरेन परिवार का एकछत्र राज है. जामा विधानसभा क्षेत्र में करीब 45 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 6 फीसदी यादव और 22 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां हैं. यहां से शिबू सोरेन के साथ उनके पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन और फिर दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन विधायक रह चुकी हैं. पर इस बार इस क्षेत्र की परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी है, झामुमो की टिकट पर लगातार तीन बार से चुनाव जीत रही सीता सोरेन अब भाजपा में हैं. जबकि झामुमों की भी इस इलाके में अच्छी पकड़ है.
1980 से आठ में सात बार झामुमो ने मारी है बाजी
अगर हम पिछले चार दशक से हो रहे चुनाव की बात करें तो 1980 से अब तक जामा क्षेत्र में आठ बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं. जिसमें सात बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाजी मारी है. जबकि सिर्फ एक बार 2005 में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी. 44 वर्ष पहले 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के देवान सोरेन ने यहां से चुनाव जीता था. 1984 के लोकसभा चुनाव में जब शिबू सोरेन कांग्रेस प्रत्याशी से इलेक्शन हार गए थे, तो उन्होंने 1985 के विधानसभा चुनाव में जामा से अपना भाग्य आजमाया था और विजयी हुए थे.
1990 के चुनाव में झामुमो ने यहां से मोहर्रिल मुर्मू को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की थी. पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ने जब अपने बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को राजनीति में उतारा तो उनके लिए एक सीट की तलाश थी. 1995 के विधानसभा चुनाव में गुरुजी ने अपने पुत्र दुर्गा सोरेन को जामा सीट की टिकट थमाई और दुर्गा ने यहां शानदार जीत दर्ज की. 2000 के चुनाव में लगातार दूसरी बार दुर्गा सोरेन यहीं से विधायक बने, लेकिन 2005 के चुनाव में दुर्गा सोरेन के काफी नजदीकी कार्यकर्ता सुनील सोरेन से उनकी अनबन हो गई थी. भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाया और सुनील सोरेन को अपनी पार्टी में लाकर प्रत्याशी बना दिया. सुनील सोरेन बीजेपी के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने दुर्गा सोरेन को शिकस्त देकर जामा सीट को भाजपा के झोली में डाल दी.
जामा विधानसभा सीट का इतिहास
2019 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी का नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
सीता सोरेन | जेएमएम | 60925 |
सुरेश मुर्मू | बीजेपी | 58499 |
अर्जुन मरांडी | जेेवीएम | 5897 |
2014 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी का नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
सीता सोरेन | जेएमएम | 53250 |
सुरेश मुर्मू | बीजेपी | 50344 |
सुखलाल सोरेन | जेेवीएम | 9263 |
2009 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी का नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
सीता सोरेन | जेएमएम | 38550 |
लुखी राम टुडू | एलटीएसडी | 1572 |
2005 में जामा विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी का नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
सुनील सोरेन | बीजेपी | 44073 |
दुर्गा सोरेन | झामुमो | 37443 |
मनोज कुमार सिंह | आरजेडी | 4254 |
जामा में वर्ष 1967 से लेकर 2000 तक के विधायक | ||
वर्ष | उम्मीदवार | पार्टी |
1967 | मुंशी हासंदा | निर्दलीय |
1969 | मदन बेसरा | कांग्रेस |
1972 | मदन बेसरा | कांग्रेस |
1977 | मदन बेसरा | कांग्रेस |
1980 | देवान सोरेन | जेएमएम |
1985 | शिबू सोरेन | जेएमएम |
1990 | मोहरिल मुर्मू | जेएमएम |
1995 | दुर्गा सोरेन | जेएमएम |
2000 | दुर्गा सोरेन | जेएमएम |
2009 में सीता सोरेन आईं राजनीतिक मैदान में
2009 में शिबू सोरेन के बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की मृत्यु हो गई और इसी वर्ष जब चुनाव हुए तो गुरुजी ने अपने पुत्रवधू सीता सोरेन को जामा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा. इधर भाजपा ने 2005 के विधायक सुनील सोरेन को 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ाया था और जब वे यह चुनाव शिबू सोरेन से हार गए थे, तब उनका विधानसभा टिकट भी काट दिया और उनकी जगह भाजपा प्रत्याशी बने मनोज सिंह पहाड़िया. मतलब पहली बार चुनाव लड़ रही सीता सोरेन के सामने मनोज सिंह पहाड़िया भाजपा के उम्मीदवार थे. इस चुनाव में सीता सोरेन ने बड़े आराम से दस हजार से अधिक मतों से चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची. इसके बाद 2014 और 2019 का चुनाव जीतकर सीता सोरेन में हैट्रिक लगाई.
2024 में सीता सोरेन शामिल हुई भाजपा में