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कर्मचारी संगठनों ने की बकाया भत्तों के भुगतान की मांग; बोले- नहीं हुई सुनवाई तो होगा प्रदेश भर में प्रदर्शन - government employees problems

जवाहर भवन-इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ व उत्तर प्रदेश लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा परिसंघ ने प्रदेश सरकार (government employees problems) से कर्मचारियों की लंबित मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की है.

महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय व परीक्षा सेवा परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार 'बच्चा'
महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय व परीक्षा सेवा परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार 'बच्चा' (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 27, 2024, 9:07 PM IST

लखनऊ : जवाहर भवन-इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय और उत्तर प्रदेश लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार 'बच्चा' ने उत्तर प्रदेश सरकार से कर्मचारियों की लंबित मांगों और कोविड काल के बकाया भत्तों का भुगतान जल्द करने की मांग की है.

जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि वर्तमान में कर्मचारियों के प्रति सरकार संवेदनहीन है. कोई भी बात अधिकारी सुन नहीं रहे हैं. तमाम विभागों में पदोन्नति की कार्रवाई लंबे समय से रुकी हुई है. लोग एक-एक साल पहले अपनी पदोन्नति के लिए हकदार हो चुके हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते पदोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं, जबकि शासन का आदेश है कि 30 सितंबर तक पदोन्नतियों की कार्रवाई पूरी कर ली जाए. जवाहर भवन इंदिरा भवन में बहुत विभाग ऐसे हैं जहां पर पदोन्नति की कार्रवाई अनावश्यक तरीके से रोकी गई है. उत्तर प्रदेश में लगभग 16 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. तमाम कर्मचारियों की पदोन्नति हो चुकी है, लेकिन अधिकारी मनमानी कर रहे हैं. इन मांगों पर उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए.

कर्मचारी संगठनों ने की बकाया भत्तों के भुगतान की मांग (Video Credit: ETV Bharat)

प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय का कहना है कि कोरोना काल में पूरे उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने अपने-अपने वेतन का एक एक दिन का अंशदान भी सरकार के खाते में दिया. सरकार की सहायता की. इस कोरोना के नाम पर हमारे तमाम सारे भत्ते काट दिए गए. हमारा नगर प्रतिकर भत्ता काट दिया गया. महंगाई भत्ते की तीन किश्तें भी रोक दी गईं. कोरोना काल समाप्त हो गया है. प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर हो चुकी है. उसके बाद भी कटे हुए भत्तों और महंगाई भत्ते के बारे में फिर से जारी करने का प्रयास सरकार नहीं कर रही है. इसकी लगातार सरकार से मांग की जा रही है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. सातवें वेतन आयोग ने तमाम विभागों में जो संवर्ग हैं उनकी वेतन विसंगतियों के बारे में एक कमेटी जेपी पटनायक की अध्यक्षता में गठित की थी. उसकी रिपोर्ट आ चुकी है.

प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार पांडेय का कहना कि लेखा संवर्ग हो, फार्मासिस्ट हो, लैब टेक्नीशियन संवर्ग हो, इस तरह के तमाम संवर्गों में उस समय की समिति ने अपनी संस्तुतियां प्रदान कर दी थीं कि उनके वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की जाए. वह भी आज तक जस की तस पड़ी हुई है. उन पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हमारी सरकार से मांग है कि जिन विभागों में पदोन्नतियों की कार्रवाई पेंडिंग है, उनको तत्काल पूरा कराया जाए. कोरोना काल में जो हमारे भत्ते रोके गए हैं, चाहे नगर प्रतिकर भत्ता हो या महंगाई भत्ता हो, सभी भत्ते जारी किए जाएं. जिन वेतन विसंगतियों पर उस समय की गठित समिति ने अपनी संस्तुतियां दे दी थीं उन संस्तुतियों पर मंत्रिपरिषद के समक्ष रखकर उन पर स्पष्ट शासनादेश जारी किया जाए. अब अगर सरकार नहीं सुनेगी तो हमें धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा. यह हमारी जायज मांगें हैं. इनको इग्नोर मत किया जाए. हमें अनावश्यक रूप से हड़ताल के मार्ग पर भेजने का काम न किया जाए.



उत्तर प्रदेश लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार 'बच्चा' का कहना है कि वेतन विसंगतियां बहुत ज्यादा हैं. जो समिति बनी थी उसने संस्तुतियां की थीं कि लेखा संवर्ग और स्टेनोग्राफर संवर्ग फार्मासिस्ट हो या लैब टेक्नीशियन हो इन्हें वेतन बढ़ोतरी के दायरे में लाया जाए. जिन संस्तुतियों पर आदेश भी हो रहे हैं उन पर विभागाध्यक्ष ध्यान नहीं दे रहे हैं. अधिकारियों की तरफ से हीलाहवाली की जा रही है. पूरे प्रदेश का कर्मचारी निराश है. प्रदेश सरकार कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील हो, यह हमारी मांग है. सरकार ने कहा है कि सितंबर तक सारे प्रमोशन हो जाएं लेकिन अभी तक प्रमोशन नहीं हो रहे हैं. नगर प्रतिकर भत्ता बहुत कम मिलता है. किसी को ₹800 तो किसी को हजार रुपए. यह नगर प्रतिकर भत्ता न रोका जाए. इसे जल्द जारी किया जाए. इससे प्रदेश के 16 लाख कर्मचारियों में सरकार की अच्छी छवि बनेगी. कोरोना काल से करीब डेढ़ वर्ष का डीए रुका हुआ है. डीए की किस्त भी सरकार जल्द जारी करे, यह हम कर्मचारियों की मांग है. अब इसमें बिल्कुल भी देरी न की जाए.


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