जौनपुर : जौनपुर के दीवानी न्यायलाय के कोर्ट में अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने अटाला मस्जिद को अटाला माता मंदिर बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में दावा पेश किया है. अधिवक्ता ने दावे के संबंध में पुरातत्व विभाग के निदेशक की रिपोर्ट एवं विभिन्न पुस्तकों का हवाला दिया है. वाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ पेश किया गया है.
आगरा निवासी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि अटाला मस्जिद ही अटाला माता मंदिर का मूल भवन है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक होने के साथ साथ एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक भी है. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, उपेंद्र विक्रम सिंह, हिमांशु श्रीवास्तव, इशांत प्रताप सिंह सेंगर, विमल कुमार सिंह, सूर्या सिंह, अभिनव सिंह, रवि प्रकाश पाल, धनंजय तिवारी, राकेश पाल, नीलेश, अजय सोनकर, रेनू, दीपक पाल, तेज बहादुर यादव, विपिन पाल, दिनेश पाल, मान सिंह यादव, संतोष सिंह, अवनीश दुबे, प्रमोद यादव व आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष उपस्थित रहे.
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह के अनुसार अटाला मस्जिद मूल रूप से अटाला माता मंदिर है. ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार अटाला माता मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद्र राठौर ने कराया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक ने अपनी रिपोर्ट लिखा है कि अटाला माता मंदिर को तोड़ने का आदेश फिरोजशाह ने दिया था, लेकिन हिंदुओं के संघर्ष के कारण मंदिर को तोड़ नहीं पाया. जिस पर बाद में इब्राहिम शाह अतिक्रमण कर मंदिर का उपयोग मस्जिद के रूप में करने लगा. कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी पुस्तक में अटाला मस्जिद की प्रकृति व चरित्र को हिन्दू बताया है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनेक रिपोर्ट्स में अटाला मस्जिद के चित्र दिए गए हैं. जिनमें त्रिशूल, फूल, गुड़हल के फूल, त्रिशूल आदि मिले है. वर्ष 1865 के एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल में अटाला मजिस्द के भवन पर कलश की आकृतियों का होना बताया गया है.
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