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सगोत्र विवाह को अवैध घोषित करने की उठी मांग, हरियाणा में जाट नेता बोले-हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव करें सरकार - ENDOGAMY MARRIAGE

रोहतक के जसिया में किसान मसीहा छोटूराम और राजा महेंद्रप्रताप की जयंती समारोह में सगोत्र विवाह को अवैध घोषित करने के लिए प्रस्ताव पास हुआ.

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समगोत्र विवाह को बैन करने की मांग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 1, 2024, 10:38 PM IST

रोहतक: अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति और जाट सेवा संघ ने सगोत्र विवाह को अवैध घोषित करने और हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव की मांग की है. रोहतक के जसिया में किसान मसीहा छोटूराम और राजा महेंद्र प्रताप की जयंती समारोह में इस बारे में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया. वहीं, अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने सरकार से मांग की है कि जाट आरक्षण समेत अन्य मांगों को जल्द पूरा किया जाए.

कई बड़े नेता हुए शरीक : जयंती समारोह में प्रमुख तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह डूमरखां, दिल्ली कैंट से आम आदमी पार्टी के विधायक वीरेंद्र सिंह कादियान, नलवा से बीजेपी विधायक रणधीर सिंह पणिहार, उचाना की पूर्व विधायक प्रेमलता, मलिक खाप के प्रधान दादा बलजीत मलिक, जाट खाप प्रधान भीम सिंह समेत अन्य गणमान्य हस्ती मौजूद रही. सभी जिलों से अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति व जाट सेवा संघ के पदाधिकारी भी पहुंचे.

"सगोत्र विवाह को बैन किया जाए" : इस जयंती समारोह में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा सगोत्र विवाह को अवैध घोषित करने का रहा. जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव रोहताश हुड्डा ने इस बारे में प्रस्ताव पास किया. उन्होंने कहा कि सगोत्र विवाह का मतलब है - एक ही गोत्र के दो लोगों के बीच विवाह होना. सगोत्र विवाह को लेकर कई धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हैं. वास्तविक रूप में सगोत्र विवाह निषेध चिकित्सा विज्ञान की ’सेपरेशन ऑफ जींस‘ की मान्यता पर आधारित है. कई वैज्ञानिक अनुसंधानों के बाद ये निष्कर्ष प्राप्त किया गया है कि यदि करीब के रक्त संबंधियों में विवाह होता है तो अधिक संभावना है कि उनके जींस (गुणसूत्र) अलग न होकर एक समान ही हो. एक ही गोत्र में विवाह हो जाने पर दंपती के यहां होने वाली संतान में मानसिक और शारीरिक विकृति हो सकती है.

"मार्च 2017 के समझौते को लागू किया जाए": इस जयंती समारोह में किसान मसीहा छोटूराम को भारत रत्न देने, भाखड़ा नांगल बांध का नाम छोटूराम के नाम से रखने, एसबीसी की रूकी हुई नियुक्तियों के बारे में जल्द ज्वाइनिंग कराने और जाट आरक्षण के संबंध में 19 मार्च 2017 को सरकार और अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के बीच हुए समझौते को लागू करने की मांग रखी गई. समिति के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप सिंह दहिया, महासचिव कमांडर महेंद्र सिंह मलिक और जाट सेवा संघ के चेयरमैन रणधीर सिंह कड़ौदा ने भी समारोह को संबोधित किया.

जयंती समारोह में जाट आरक्षण का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा:जसिया में जयंती समारोह के दौरान जाट आरक्षण का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने सभी सामाजिक और राजनीतिक नेताओं को एक मंच पर आने का आहृान करते हुए सरकार से जाट समाज की लंबित मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की ताकि समाज में सकारात्मक संदेश जाए. गौरतलब है कि जाट आरक्षण की मांग को लेकर फरवरी 2016 में आंदोलन हिंसक हो गया था. इस दौरान कई आंदोलनकारी युवकों की जान भी गई थी. वहीं, कई जगह पर आगजनी की घटनाएं भी हुई थी. बाद में सरकार व जाट समाज के बीच कई मांगों को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन आज तक इन मांगों को लागू नहीं किया गया.

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