सहरसा:जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर अपनी पदयात्रा के क्रम में चौथे दिन सहरसा पहुंचे. यहां बनमा इटहरी प्रखंड में उन्होंने किसानों को उनके हक-अधिकार के लिए आवाज बुलंद करने को कहा. पीके ने कहा कि पंजाब के किसान धान की कीमत बढ़ाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन बिहार के किसानों को कोई मतलब नहीं है. वो चावल, दाल खाकर सोए हुए हैं.
पीके ने लोगों को किया जागरुक: प्रशांत किशोर ने कहा कि जनता ने अपने बच्चों के लिए कभी वोट ही नहीं दिया, जो उनकी बर्बादी का पहला कारण है. उन्होंने कहा कि कुछ आदमी हैं, जो कहेंगे कि पढ़ाई के लिए कोई वोट मांगने आया ही नहीं? वहीं इस बात की क्या गारंटी है कि पढ़ाई करने से लोगों को रोजगार मिलेगा ? इतनी बात तो हर किसी को पता है कि अगर यहां फैक्ट्री लग जाए तो लोगों को यही पर रोजगार मिलेगा. लेकिन, किसी ने आजतक फैक्ट्री रोजगार के लिए वोट ही नहीं दिया.
'खाना खाकर घर में सोए हैं किसान': आपने पढ़ाई के लिए वोट नहीं दिया, फैक्ट्री लगाने, रोजगार देने के लिए वोट नहीं दिया. ये सब बात भी छोड़ दीजिए, लेकिन खेती-किसानी तो सभी लोग करते हैं. अभी दो महीने पहले ही धान कटा है, धान की कीमत है 2150 रुपए प्रति क्विंटल है. लेकिन, यहां के लोगों ने उसे 1600, 1700, 1800 रुपए में बेचा है और आराम से अपने घर में सोए हैं.
खेती-किसानी के नाम पर भी वोट नहीं:पीके ने कहा कि हर किसान को मालूम है कि अगर वे 2150 रुपए में बेचते तो उन्हें अच्छी आमदनी होती. इसके बावजूद किसी को इसकी फिक्र ही नहीं है. यहां के लोगों ने धान, गेहूं, मकई के दाम पर भी वोट नहीं दिया. पंजाब में किसानों 2150 रुपए में धान बेचने के बाद भी दिल्ली में सरकार को कीमत बढ़ाने के लिए घेर रहे हैं.
"पंजाब में जो किसान हैं, उन्होंने 2150 रुपए में धान बेचा है और मोदी जी को दिल्ली में घेरा है कि हमको और पैसा चाहिए. लेकिन बिहार के किसानों ने 1600 रुपए में धान बेचा है और दाल, भात, चोखा खाकर सोए हुए हैं. उनको कोई चिंता ही नहीं है. आप पढ़ाई के लिए वोट ही नहीं दीजिएगा, अपने रोजगार और आमदनी के लिए वोट ही नहीं दीजिएगा तो आपकी दशा सुधरेगी कैसे?"- प्रशांत किशोर, जन सुराज अभियान के सूत्रधार