आगरा: लघुवाद न्यायालय में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद वाद में सुनवाई हुई. जिसमें प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मामले में जवाब के लिए समय मांगा. जिस पर कोर्ट ने एएसआई को समय दिया है.अब इस मामले की सुनवाई पांच जुलाई 2024 को होगी. इस मामले में इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी है. वर्तमान में प्रभु श्रीकृष्ण विग्रह के दो वाद माननीय न्यायाधीश मृत्युंजय कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में विचाराधीन है.
दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, प्रतिवादी इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद एवं उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जामा मस्जिद के मामले की सुनवाई को अदालत के क्षेत्राधिकार से बाहर बताने की याचिका खारिज हो चुकी है.
सुनवाई के लिए मिली तारीख:वादी और अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया, कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों का GPR सर्वे के लिए पहले ही प्रार्थना पत्र दिया था. अभी विचाराधीन है. सोमवार को सुनवाई में विपक्षी संख्या 1 उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आज उपस्थित हुआ. न्यायालय ने विपक्षी पुरातत्व विभाग को जवाब के लिए अंतिम समय दिया. सुनवाई की अगली तिथि 5 जुलाई नियत की गई है.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद मामला: ASI ने कोर्ट से मांगा समय, अगली सुनवाई 5 जुलाई, - jama masjid controversy
श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही जामा मस्जिद की जांच एएसआई को सौंपी गई थी. इसको लेकर कोर्ट से ASI ने समय मांगा है.अब इस मामले की सुनवाई पांच जुलाई 2024 को होगी.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : May 27, 2024, 3:18 PM IST
कथावाचक का ये दावा:मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि, मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके साथ ही जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकाले. कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन भी इसको लेकर कर चुके हैं. जिसमें उन्होंने सनातनी एकजुट करके बड़े आंदोलन की सनातनियों से अपील की. जिसमें उन्होनें कहा था कि, मैं जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से ले जाऊंगा. तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा.
एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने:श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि. हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए ASI सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है. क्योंकि, सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी.
शाहजहां की सबसे बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां की 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफे की रकम पांच लाख रुपये से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.
औरंगजेब लाया था विग्रह और पुरावशेष:वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वो केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.
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