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इन्होंने राम को पोर-पोर पढ़ा और शब्दों में गढ़ा है, राम की मूरत नहीं देखी पर श्रद्धा ऐसी कि बंद आंखों से पढ़ते हैं चौपाइयां - Braille script Ramayana Path

Reciting Ramayan Through Braille, जयपुर के लुई ब्रेल दृष्टिहीन विकास संस्थान में दृष्टिबाधित बच्चे ब्रेल लिपि के माध्यम से अखंड रामायण का पाठ सीख रहे हैं. इसी संस्थान में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित युवा अखंड रामायण पाठ को अपना आजीविका माध्यम बना रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट

BRAILLE SCRIPT RAMAYANA PATH
दृष्टिबाधित युवाओं के लिए आजीविका सहारा बनी रामचरितमानस (Etv Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 7, 2024, 6:32 AM IST

ब्रेल लिपि के माध्यम से करते अखंड रामायण पाठ (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. पूरे भारत में राम नाम की अलख जगी हुई है. जिनकी आंखों की रोशनी नहीं है, वे भी प्रभु श्री राम के प्रति बेहद खास तरह से श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं. उन्होंने राम की मूरत नहीं देखी, लेकिन राम को पोर-पोर पढ़ा है और शब्द-शब्द गढ़ा है. वो कागज पर उंगलियां फेरते हैं और एक-एक चौपाई रामायण की पढ़ते जाते हैं. वो हाथों की उंगलियों से राम की कथा सुनाते हैं. जयपुर के लुई ब्रेल दृष्टिहीन विकास संस्थान में दिव्यांग जन ब्रेल लिपि के माध्यम से अखंड रामायण का पाठ करते हैं. कभी इसी संस्थान में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित युवा अब यहां पढ़ने वाले बच्चों को ब्रेल लिपि के माध्यम से अखंड रामायण पाठ का भी अभ्यास करा रहे हैं, ताकि अन्य बच्चे इसे अपनी आजीविका का माध्यम भी बना सकें.

उंगलियों के स्पर्श से रामायण पाठ : संस्था के सचिव ओम प्रकाश अग्रवाल बताते हैं कि 44 साल पहले 4 जनवरी 1980 को ओमप्रकाश अग्रवाल ने लुई ब्रेल दृष्टिहीन विकास संस्थान की स्थापना की थी. वो स्वयं दृष्टि बाधित थे और सरकारी नौकरी में थे. उन्होंने अपने चार अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षा देने और समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए इस संस्थान की स्थापना की. चार दृष्टिबाधित बच्चों से शुरू हुआ ये सफर, अब सैकड़ों बच्चों को ब्रेल लिपि के साथ कम्यूटर सहित अन्य विधाओं में प्रशिक्षण देकर जीवन को संवार रहा है. इनमें कुछ बच्चे तो ऐसे हैं, जिन्होंने ब्रेल लिपि के साथ-साथ रामचरितमानस पढ़ने की विधा भी सीखी. अब उसी रामचरितमानस पाठ को अपनी आजीविका माध्यम बनाया.

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उन्होंने बताया कि इस संस्था से कई होनहार बच्चे निकले हैं. कोई आरएएस तो कोई अन्य सरकारी नौकरी में हैं. किसी ने प्राइवेट नौकरी तो किसी ने अपना व्यापार शुरू किया. इसमें कुछ बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्होंने रामचरितमानस को अपनी आजीविका का माध्यम बनाया. ब्रेल लिपि के माध्यम से ये दृष्टिबाधित बच्चे सामान्य बच्चों या युवाओं से भी अच्छे तरीके से रामायण पाठ करते हैं. 12 से ज्यादा बच्चों ने इसी स्कूल में रामायण पाठ सीखकर इसे अपना प्रोफेशन बना लिया. उन्होंने बताया कि ये बच्चे हाथों की उंगलियों के स्पर्श से पाठ करते हैं. ये सब ब्रेल लिपि के अच्छे अभ्यास से ही संभव है.

ब्रेल लिपि के माध्यम से करते अखंड रामायण पाठ (ETV Bharat Jaipur)

जहां चाह, वहां राह :संस्था में बच्चों को रामायण पाठ का अभ्यास करा रहे सलिल तिवारी और बसंत लाल बताते हैं कि कई वर्षों पहले उन्होंने भी इसी स्कूल में ब्रेल लिपि के माध्यम से रामायण पाठ का अभ्यास किया था. जब वो इस स्कूल में पढ़ते थे तो नियमित रूप से हर शनिवार और मंगलावर को अखंड रामायण पाठ करते थे. इसकी वजह से कुछ बच्चों में धार्मिक भावना जाग्रत हुई और उन्होंने इसे ही अपना प्रोफेशन बना लिया. उन्होंने बताया कोई भी काम मुश्किल नहीं होता. जहां चाह होती है वहां राह अवश्य बन जाती है. बस मन में कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए. जिस काम को करने में सामान्य व्यक्ति को एक घंटा लगता है, वहीं दृष्टिबाधित को डेढ़ घंटा लगेगा, लेकिन वो करेगा जरूर. रामायण पाठ भी उसी तरह से है. ब्रेल लिपि पर अगर किसी दृष्टिबाधित बच्चे की अच्छी पकड़ है तो वो आसानी से हाथों की उंगलियों के सहारे बहुत अच्छे से पाठ कर सकते हैं.

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