जबलपुर। जिले के स्लीमनाबाद के पास बनने वाली बरगी बांध नहर की एक टनल कई जिलों की आर्थिक तस्वीर बदल देगी. इस टनल से 184000 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी. बरगी बांध की स्लीमनाबाद के टनल पर रीवा, सतना, कटनी और मैहर जिले का आम आदमी 16 साल से टकटकी लगाए बैठा है. वह इस उम्मीद में हैं, इस टनल के जरिए उनकी पानी की कमी पूरी हो जाएगी, लेकिन जो काम एक साल में पूरा करने का दावा किया गया. उसे 16 साल हो गए. बताया जा रहा है इस टनल के लिए अब महज 1440 मीटर ही रह गया है. लिहाजा 10 मी गोल व्यास वाली लगभग 12 किलोमीटर लंबी देश की पहली वाटर टनल होगी. जमीन के अंदर का जियोलॉजिकल स्टेटस ने रोकी की इस नहर के निर्माण की गति
जबलपुर का बरगी बांध जब बन रहा था. इस दौरान इस बांध के जरिए नर्मदा नदी के पानी को सतना और रीवा तक ले जाने की तैयारी की गई थी. इसके लिए एक नदी नुमा बड़ी नहर जबलपुर से सतना तक ले जानी थी. इस नहर को खोदना शुरू किया गया और यह नहर लगभग पूरी हो गई थी, लेकिन नक्शे के अनुसार इस नहर को कटनी के स्लीमनाबाद नाम के एक कस्बे से होकर गुजरना था, क्योंकि कटनी के आसपास कई बड़े पहाड़ हैं और केवल स्लीमनाबाद की एक जगह थी जहां से इस नहर को गुजारा जा सकता था और अपने वाटर लेवल पर चलते हुए सतना तक पहुंच सकता था.
12 किलोमीटर लंबी वाटर टनल
स्लीमनाबाद खुद एक पहाड़ी पर बसा हुआ है. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने एक योजना बनाई की स्लीमनाबाद को बिना उजाड़े इस पहाड़ी के नीचे से एक वाटर टनल बनाई जाए. यह एक बड़ा महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट था. इसमें 12 किलोमीटर लंबी वायर टनल बनाई जानी थी. यदि टनल ना बनाई जाती, तो इस पूरे इलाके में लगभग 100 फीट गहरी खुदाई करनी पड़ती और 100 फीट गहरी खाई को बनाए रखने के लिए कंस्ट्रक्शन कॉस्ट बहुत ज्यादा हो जाती. इसलिए यहां से वाटर टनल बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया और इसका काम शुरू किया गया. इस वाटर टनल को खोदने के लिए बहुत बड़ी-बड़ी मशीनों का इस्तेमाल किया गया और बीते 16 सालों से लगातार इस बनाए जाने की कोशिश जारी है.
अधिकारी ने क्या कहा
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सजल कुमार श्रीवास्तव इस समय इस प्रोजेक्ट के हेड हैं. उन्होंने हमें बताया कि 'अभी भी एक्सटर्नल का काम लगातार जारी है. मुंबई की पटेल इंजीनियरिंग नाम की एक कंपनी इसे कर रही है. फिलहाल 1440 मी टनल और खोदी जानी है. जिसे संभवत दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा.'
जूलॉजिकल स्टेट बना बाधा
सजल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 'इस टनल की सबसे बड़ी दुश्मन इस इलाके का जूलॉजिकल स्टेटस है. दरअसल, स्लीमनाबाद एक बड़ी भूगर्भीय गतिविधि का केंद्र रहा होगा. जिसका पता किसी को नहीं था. जब 10 मीटर चौड़ी इस टनल को खोदने का काम शुरू किया गया तो शुरुआत में मशीन को केवल मुरम को काटना था. किसी को अंदाज नहीं था कि जैसे-जैसे पहाड़ी के भीतर खुदाई आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे जमीन के भीतर के नए-नए रहस्य उजागर होंगे.' सजल कुमार श्रीवास्तव का कहना है की 'खुदाई करते समय कई बार ऐसे मजबूत पत्थर सामने आए जिसने मशीन को ही तोड़ दिया. कई बार केवल मिट्टी निकाली और कई बार ऐसा हुआ की लंबी-लंबी गुफाएं मिली.
हालांकि इन गुफाओं के अंदर खुदाई करना सरल था, लेकिन इनमें पानी भरा हुआ था और यह पानी पूरी मशीन को ही बर्बाद कर देता था. वहीं कुछ जगहों पर मार्बल सामने आ गया, लेकिन इस मार्बल को काटना मशीन के लिए बड़ा कठिन था. अंदर कई बड़े सिंक होल बन गए, जब इन सिंक होल को बंद किया गया, तब काम आगे जारी किया जा सका. कुल मिलाकर 12 किलोमीटर लंबे इस पहाड़ को खोदना किसी चुनौती से कम नहीं रहा.'