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जबलपुर अस्पताल अग्निकांड मामले में राज्य सरकार बैकफुट पर, हाईकोर्ट ने दी एक सप्ताह की मोहलत - Jabalpur hospital fire case - JABALPUR HOSPITAL FIRE CASE

जबलपुर के अस्पताल अग्निकांड मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. अब तक जिम्मेदारों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों को लेकर सरकार बैकफुट पर है.

Jabalpur hospital fire case
जबलपुर अस्पताल अग्निकांड मामले में राज्य सरकार बैकफुट पर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 25, 2024, 5:07 PM IST

जबलपुर।न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में हुई 8 व्यक्तियों की मौत के मामले में हाईकोर्ट सख्त है. याचिका में आरोप लगाये गए हैं कि नियम विरुद्ध निजी अस्पताल के संचालन की अनुमति दी गई है. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से याचिकाकर्ता द्वारा पूछे गये 14 प्रश्नों का जवाब पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है.

अस्पतालों में नियम कायदों की परवाह नहीं

बता दें कि लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विशाल बघेल ने जबलपुर में नियम विरुद्ध तरीके से प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि नियमों को ताक पर रखकर संचालित न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्निकांड में हुई 8 व्यक्तियों की मौत हो गई. आपातकालीन द्वार नहीं होने के कारण लोग बाहर तक नहीं निकल पाए. कोरोना काल में 65 निजी अस्पतालों को संचालन की अनुमति दी गयी है. जिन अस्पतालों को अनुमति दी गयी है, उनमें नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया गया. जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद अस्पताल संचालन की अनुमति दी गयी.

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इससे पहले सुनवाई में मुख्य सचिव को दिए थे निर्देश

इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गयी एक्शन टेकन रिपोर्ट में बताया गया था कि अस्पताल का निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों की टीम के खिलाफ विभागीय जांच लंबित है. तत्कालीन सीएमएचओ का एक इंक्रीमेंट रोकने की सजा से दंडित किया गया है. युगलपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया था कि क्या वह सजा से संतुष्ट है, इस संबंध में हलफनामे के साथ जवाब पेश करें. मुख्य सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में पेश किये गये हलफनामा में कहा गया कि ये सजा पर्याप्त नहीं है. सजा के संबंध में रिव्यू किया जा रहा है. इसके बाद सरकार की तरफ से बताया गया कि तत्कालीन सीएमएचओ के खिलाफ पुनः विभागीय जांच के निर्देश जारी किये गये हैं.

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