जीजा की दरिंदगी से नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता हो गई थी गर्भवती, कोर्ट ने दी गर्भपात कराने की इजाजत - HC PERMITS ABORTION OF MINOR - HC PERMITS ABORTION OF MINOR
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ ने एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को गर्भपात की अनुमति प्रदान की जा सकती है. पीड़िता न्यायालय के चक्कर काट रही है, जिसे मूकदर्शक बनकर नहीं देखा जा सकता है.
हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात कराने की इजाजत (Etv Bharat)
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमित दे दी है. इसके पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ ने पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने इस आधार पर पीड़िता की याचिका को खारिज किया था कि पीड़िता की मां ने अदालत में गवाही दी थी कि वह मुकदमे में आरोपी को बचाने की कोशिश करेगी. फिर एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए पीड़िता ने अपील दायर की थी. पीड़िता के साथ उसकी बड़ी बहन के पति ने दुष्कर्म किया था.
21 सप्ताह का है पीड़िता का गर्भ
गौरतलब है कि मैहर निवासी पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी. जहां एकलपीठ से गर्भपात की अनुमति नहीं मिलने के बाद पीड़िता ने आदेश को चुनौती देते हुए फिर याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने गर्भपात की अनुमति दे दी. युगलपीठ ने दायर अपील की सुनवाई के दौरान पेश की गई रिपोर्ट में पाया कि पीड़िता का गर्भ 21 सप्ताह का है.
युगलपीठ ने आदेश में ये कहा
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए युगलपीठ ने कहा कि पीड़िता को गर्भपात की अनुमति प्रदान की जा सकती है. गर्भपात के लिए नाबालिग गर्भवती न्यायालय के चक्कर काट रही है, जिसे मूकदर्शक बनकर नहीं देखा जा सकता है. युगलपीठ ने तीन डॉक्टरों की टीम द्वारा गर्भपात कर भ्रूण का नमूना सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए हैं. युगलपीठ ने गर्भपात के दौरान सभी चिकित्सा सुरक्षा का ध्यान रखने व पीड़िता की देखभाल के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. युगलपीठ ने कहा कि पीड़िता की मां द्वारा हलफनामे में दिए गए बयान से पीछे नहीं हटेंगी और ट्रायल कोर्ट में अभियोजन का समर्थन करेंगी.
इससे पहले याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि गर्भपात की अनुमति मिलने पर पीड़िता के माता-पिता आपराधिक प्रकरण की सुनवाई में अपने बयान से नहीं मुकरेंगे व अभियोजन पक्ष का सहयोग करेंगे. इस संबंध में शपथ-पत्र प्रस्तुत करें. याचिका की सुनवाई के दौरान पीड़िता की मां ने न्यायालय में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया था. जिसमें कहा गया था कि वह जिला न्यायालय में सुनवाई के दौरान अपने बयान से नहीं मुकरेगी. पति की दिमागी स्थिति ठीक नहीं होने के कारण हलफनामा देने में असमर्थता जताई थी.