मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

MBBS डॉक्टर पर 25 लाख रु का जुर्माना, हाईकोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट में एमबीबीएस डॉक्टर की याचिका पर हुई सुनवाई, 25 लाख के जुर्माने पर कोर्ट ने मांगा जवाब

HC HEARING PETITION MBBS DOCTOR
जबलपुर हाईकोर्ट में एमबीबीएस डॉक्टर की याचिका पर हुई सुनवाई (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 25, 2024, 7:59 AM IST

जबलपुर: हाईकोर्ट में एक एमबीबीएस डॉक्टर पर लगे 25 लाख रु के जुर्माने के मामले में दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. दरअसल, डॉक्टर पर एमबीबीएस पूरा करने के बाद 5 साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के बॉन्ड का उल्लंघन करने का मामला है. इस बॉन्ड की शर्त में कहा गया था कि उल्लंघन करने पर 25 लाख रु जुर्माना देने होगा. इसी जुर्माने को चुनौती देते हुए डॉक्टर की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई.

सरकार ने नहीं की जुर्माना राशि की समीक्षा

इस याचिका की सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने की. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका के माध्यम से कहा गया था कि जुर्माने की राशि का मामला संसद में भी उठा था, जिसके बाद राष्ट्रीय मेडिकल आयोग ने प्रदेश सरकार को जुर्माना राशि की समीक्षा करने आदेश जारी किए हैं. इसके बावजूद मध्य प्रदेश सकरार ने जुर्माने की राशि के संबंध में कोई समीक्षा नहीं की. जबलपुर हाईकोर्ट में ये याचिका भोपाल निवासी डॉ. अंश पंड्या की ओर से दायर की गई थी.

ये भी पढ़ें:

दिनभर कोर्ट में जिरह और रात होते ही वकील साहब बन जाते हैं रावण, गजब लीला

सोशल मीडिया पर उगला जहर, FIR हुई तो हाईकोर्ट में मोबाइल हैक का बहाना

रूरल सर्विस बॉन्ड पर उठे सवाल

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा, '' एमबीबीएस कोर्स करने के डेढ़ साल बाद सितंबर 2024 में उसे डॉक्टर के रूप में ग्रामीण क्षेत्र नियुक्ति प्रदान की गई है. एमबीबीएस में दाखिले के समय एक बॉन्ड भरवाया गया था, जिसके तहत कोर्स पूरा करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में 5 साल सेवा देना अनिवार्य बताया गया था. बॉन्ड की शर्तों का पालन नहीं करने पर 25 लाख रु जुर्माना देने की बात भी बताई गई थी. याचिका में कहा गया कि उसे डेढ़ साल की देरी से नियुक्ति प्रदान की गई है, जिसके कारण वह अपने अन्य साथियों से पीछे हो गया है. इस वजह से उसके करियर के डेढ़ साल बर्बाद हो गए हैं.''

हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश एक गरीब राज्य है और 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाना संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है. युगलपीठ ने राज्य के हेल्थ कमिश्नर और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों से नोटिस के माध्यम से पूछा कि प्रदेश में MBBS के कोर्स के बाद डॉक्टरों को पोस्टिंग देने में इतनी देरी की वजह क्या है? साथ ही कोर्ट ने 25 लाख रुपए के जुर्माना लगाए जाने पर भी जवाब मांगा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details