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जबलपुर डॉक्टर रैगिंग केस, छात्रा से 48 घंटे तक बिना बाथरूम जाए करवाया काम, अब HC ने सुनाया फैसला - JABALPUR HIGH COURT DECISION

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2024, 9:43 AM IST

Updated : Sep 6, 2024, 10:34 AM IST

जबलपुर के सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में पीजी की छात्रा रैगिंग का शिकार हुई थी. साथ ही कॉलेज प्रबंधन ने उसके दस्तावेज भी रख लिये और वापस करने के ऐवज में 30 लाख रुपये की मांग की. इस मामले में सनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन से रैगिंग पीड़िता डॉक्टर से शुल्क लिये बिना दस्तावेज वापस देने के निर्देश दिये हैं.

JABALPUR HIGH COURT DECISION
रैगिंग केस पर हाईकोर्ट का फैसला (ETV Bharat)

जबलपुर: रैगिंग से पीड़ित पीजी मेडिकल छात्रा ने सीट छोड़ने के लिए मूल दस्तावेज मांगे, तब कॉलेज प्रबंधन से दस्तावेज देने के ऐवज में छात्रा से 30 लाख रूपये की मांग की. जिसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करते हुए बिना राशि लिये मूल शैक्षणित दस्तावेज लौटने के आदेश जारी किये हैं. बता दें कि कॉलेज में छात्रा को लगातार 36 घंटे से 48 घंटे तक बिना बाथरूम जाए जूनियर डॉक्टर के रूप में काम करने की सजा दी थी. जिसके बाद छात्रा डिप्रेशन में चली गई थी.

ओडिशा की छात्रा के साथ जबलपुर में रैगिंग
जबलपुर के सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम की छात्रा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि वह मूलतः ओडिशाकी निवासी है. वह ईडब्लयू श्रेणी की छात्रा है और साल 2022 में मेडिकल कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया था. उसके पिता एक गरीब किसान हैं और अच्छी योग्यता के कारण उसके डीएमई काउंसलिंग के माध्यम से पीजी सीट आवंटित हुई थी. सरकारी मेडिकल कॉलेज में रैगिंग की शिकार हुई और उसे लगातार 36 घंटे से 48 घंटे तक बिना बाथरूम जाए जूनियर डॉक्टर के रूप में काम करने का निर्देश दिया गया. वह डिप्रेशन में चली गई और स्पाइनल इंजरी की मरीज बन गई.

डॉक्यूमेंट्स वापस करने के ऐवज में मांगे 30 लाख
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि, ''किसान पिता जब बेटी से मिलने आये तो उसकी आत्महत्या की प्रवृत्ति को देखकर हैरान रह गए. उन्होंने डीन से मूल दस्तावेज वापस करने का अनुरोध किया, ताकि वह अपनी बेटी को वापस उड़ीसा ले जा सकें. डीन ने कहा पीजी सीट छोडने के लिए 30 लाख रुपये जमा करें अन्यथा मूल दस्तावेज वापस नहीं किए जायेंगे. जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गयी है.''

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दस्तावेज वापस करने के आदेश
याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अंतिम आदेश में डीएमई व जबलपुर मेडिकल कालेज को निर्देशित किया है बिना तीस लाख रुपये की राशि लिये आवेदक के सभी मूल शैक्षणिक दस्तावेज वापस करें. युगलपीठ ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Last Updated : Sep 6, 2024, 10:34 AM IST

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