जबलपुर। मध्य प्रदेश में धड़ल्ले से चल रहे नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच कराने के जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोरोना के बाद एमपी में बड़ी संख्या में नर्सिंग कॉलेज खुल गये थे. जिसमें से अधिकतर कॉलेजों को मान्यता भी मिल गई थी. लेकिन शिक्षा गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने के बाद कोर्ट एक बार सीबीआई जांच करवा चुका है. लेकिन जांच में धांधली का आरोप लगने के बाद हाई कोर्ट ने दोबारा जांच कराने का आदेश दिया है. इस बार जांच के दौरान वीडियो ग्राफी भी कराई जायेगी.
कोराेना के बाद धड़ल्ले से खुले कॉलेज
मध्य प्रदेश में कोरोना संकट के बाद अचानक से बड़े पैमाने पर नर्सिंग कॉलेज खोले गए थे. जिसमें 200 से ज्यादा नर्सिंग कॉलेज को मान्यता भी एक-दो सालों में मिल गई थी. लेकिन इन कॉलेज के बारे में ऐसी शिकायत आ रही थी कि, इन कॉलेजों में न तो पढ़ाने के लिए अच्छे शिक्षक हैं न इमारत है. इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर शून्य हैं. कई कॉलेजों में मेडिकल स्टूडेंट के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रैक्टिकल लैब तक नहीं हैं. ये कॉलेज सिर्फ फर्जी तरीके से एडमिशन करवा के नर्सिंग की डिग्रियां बांट रहे हैं.
सीबीआई अधिकारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया
जनहित याचिका के माध्यम से इन कॉलेजों को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए इन कॉलेजों की पढ़ाई पर रोक लगाते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि, जांच के बाद जो कॉलेज मानकों पर खरा उतरेगा उसको ही मान्यता दी जाए. सीबीआई ने अपनी जांच शुरू की, उसने मानकों के विपरित कई नर्सिंग कॉलेजों को बंद करने का आदेश भी दिया तो कई कॉलेजों को सुविधाओं में सुधार के साथ कॉलेज संचालित रहने का आदेश दिया. लेकिन जांच के दौरान भोपाल में सीबीआई के अधिकारी कॉलेज से रिश्वत लेते हुए पकड़े गए. इसके बाद जांच की निष्पक्षता पर सवालिया निशान खड़ा हो गया.
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