जबलपुर। बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार 12 मई को खुल गए. यहां पट खुलने का सीधा संबंध जबलपुर के बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा है. इसके पीछे पौराणिक मान्यता भी है. बताया जाता है कि अक्षय तृतीया के बाद कुछ दिनों तक यहां भगवान बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करने की परंपरा है. दरअसल वृंदावन में अक्षय तृतीया के मौके पर बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के चरणों के दर्शन किए जाते हैं. इसलिए साल भर में अक्षय तृतीया के बाद कुछ दिन ही भगवान कृष्ण के चरणों के दर्शन होते हैं, ठीक इसी तर्ज पर जबलपुर में भी बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के चरणों के दर्शन किए जाते हैं.
पचमठा मंदिर में हैं बांके बिहारी
यह मंदिर जबलपुर के पचमठा मंदिर में से एक है. इन मंदिरों का निर्माण गोंडवाना राजाओं ने करवाया था और तब से ही इन मंदिरों में भगवान बांके बिहारी की पूजा होती चली आ रही है. ऐसा कहा जाता है कि यहां जो मूर्ति है वह मूर्ति भी वृंदावन से ही आई थी और यहां पर वृंदावन की ही तर्ज पर पूजा अर्चना की जाती है.
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