उदयपुर:देश व दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर नीली झीलों के शहर उदयपुर में हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट घूमने के लिए आते हैं.अब पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटकों को एक और सौगात दी जा रही है. दक्षिणी राजस्थान के जावर और झामर कोटड़ा जिओ हेरिटेज टूरिज्म साइट के रूप में विकसित होगी.इसको लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशानुरूप जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग को लेसर नॉन टूरिज्म साइट्स के रूप में इन स्थलों को विकसित करने भूमि का आवंटन किया है.
फॉसिल पार्क के रूप में होगा विकसित:पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि इसकी कार्यकारी एजेंसी आरटीडीसी होगी और डीपीआर पीडीसीओआर से बनवाई जाएगी. इससे उदयपुर के पर्यटन में एक नया आयाम जुड़ेगा. पर्यटन विकसित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने भू-विज्ञान एवं खान विभाग के अधिकारियों के साथ झामर कोटड़ा का दौरा कर फॉसिल पार्क विकसित करने की संभावनाएं जताई थीं. झामर कोटड़ा में हजारों वर्ष पुरानी चट्टानें पाई गई है. फॉसिल पार्क का महत्व प्राकृतिक इतिहास और विज्ञान के अध्ययन में महत्वपूर्ण है. प्रस्तावित फॉसिल पार्क प्राचीन जीवाश्मों के संरक्षण और अध्ययन के लिए समर्पित होगा जो पृथ्वी की प्राचीन जीवन संरचना और पारिस्थितिक तंत्र की जानकारी देगा.
डॉ. रितेश पुरोहित, सुखाड़िया विश्वविद्यालय (Etv Bharat Udaipur) पढ़ें: झीलों की नगरी उदयपुर में उमड़े टूरिस्ट, नव वर्ष पर टूट सकते हैं पर्यटकों की संख्या के रिकॉर्ड
विकसित होंगे नये आयाम: भू-विज्ञान विभाग के डॉ. रितेश पुरोहित ने बताया कि उदयपुर के निकट दो जिओ हैरिटेज पार्क प्रस्तावित है. इससे उदयपुर के पर्यटन सर्किट के लिए भविष्य में नए आकर्षण के केंद्र होंगे. पहला स्थान जावर माइन्स के प्राचीन खनन विधि को दर्शाने वाला पर्यटन स्थल बनेगा.जहां पर लगभग तीन हजार साल पुरानी प्राचीन जस्ता, सीसा और चांदी का खनन और प्रगलन किया जाता रहा है. ये भविष्य के लिए आधुनिक काल की खनन का प्रमुख स्रोत बना है. यहां पर दुनिया का सबसे पुराना जस्ता प्रगलन स्थल हैं. इसमें अवशेष के रूप में रिटोर्ड और अन्य खनन और स्मेल्टिंग की सामग्री के अवशेष मिलते हैं.यह क्षेत्र भू-वैज्ञानिक लिहाज से दशकों से महत्त्वपूर्ण है. यहां पर सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने वर्षों तक शोध किया है. उन्होंने मैपिंग और खनिज खोज में अपना अमूल्य योगदान दिया है. यहां पर विभाग कर ओर से अनेक शोध कार्य हुए हैं, जिनमें ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि इन धातुओं के मिलने का विस्तार कहां तक है.
लेकसिटी को मिलेंगे नए पयर्टन स्थल (फोटो ईटीवी भारत उदयपुर) झामर कोटड़ा में बनेगा फासिल पार्क:दूसरी जिओ हेरिटेज साइट झामर कोटड़ा जीवाश्म हैं, ये 200 करोड़ साल पुराने हैं. ये पृथ्वी पर जीवन उत्पत्ति के ऊपर प्रकाश डालते हैं. डॉ. पुरोहित ने बताया कि ये जीवाश्म स्ट्रोमेटोलाइट्स हैं. इनके अंदर सायनो बैक्टीरिया और आरकी बैक्टीरिया के जीवन के प्रमाण मिलते हैं. यह जैविक बस्तियां पीलियोप्रोटोरोज़ॉइक काल की है, जिनके जीवन की उत्पत्ति फॉस्फेट के उपलब्धता के कारण हुई है. यह फॉस्फेट निकट की लगभग 300 करोड़ साल की चट्टानों से बह कर आया है. यहां की पुराभौगोलिक परिस्थितियों के कारण इस स्थान पर जीवन की उत्पत्ति के प्रमाण मिले है, जोकि अरावली के पेरकांटिनेंटल समुद्र के किनारे पर विकसित हुई है. इस क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग के आचार्यों ने अनेकों शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हैं. इन दोनों स्थानों पर वैश्विक स्तर के शोध करने वाले विभाग के संकाय सदस्य प्रो. डी एस चौहान, प्रो. एबी रॉय, प्रो. एमके पंडिया, प्रो. बीएल शर्मा, प्रो. पीएस राणावत, प्रो. एन के चौहान, प्रो. विनोद अग्रवाल और डॉ. रितेश पुरोहित प्रमुख रूप से भू वैज्ञानिक योगदान के लिए जाने जाते रहे हैं.
झामर कोटड़ा में बनेगा फासिल पार्क (फोटो ईटीवी भारत उदयपुर) विकसित होंगे नये आयाम (फोटो ईटीवी भारत उदयपुर) पर्यटकों को मिलेगा नया आप्शन:नए और यूनिक प्रोडक्ट की श्रृंखला में जावर में जिओ टूरिस्ट साइट और झामर कोटड़ा में जीवाश्म पार्क के विकास के साथ ही इनके टूरिज्म पोटेंशियल को मार्केट किया जाएगा. इससे उदयपुर आने वाले पर्यटक घूमने के नए ऑप्शन के साथ ही नॉलेज पॉइंट भी एक्सप्लोर कर सकेंगे. पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही उनका ठहराव भी बढ़ेगा और उदयपुर के बाहरी क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ने से शहर में टूरिज्म का संतुलित विकास होगा.
हेरिटेज टूरिज्म साइट के रूप में होंगे विकसित (फोटो ईटीवी भारत उदयपुर)