रांची: झारखंड में कभी आदिवासी वोट बैंक पर भाजपा का दबदबा दिखता था. लेकिन वक्त के साथ आदिवासी वोटर्स भाजपा से छिटकते चले गये. इसका खामियाजा 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा. भाजपा ना सिर्फ अपनी तीनों एसटी सीटें गंवा बैठी बल्कि शेष दो सीटों पर जीत की उम्मीद पर भी पानी फिर गया.
तीन एसटी सीटें झामुमो तो दो सीटें कांग्रेस की झोली में चली गई. इस जीत से इंडिया गठबंधन बेहद उत्साहित है. प्रदेश भाजपा ने इन सीटों पर हुई हार का मंथन भी किया है. अब सवाल है कि इंडिया गठबंधन शेष 09 गैर आदिवासी सीटों में से किसी एक सीट पर भी करिश्मा क्यों नहीं दिखा पाया. क्या यह परिणाम इंडिया गठबंधन को राज्य की सत्ता तक पहुंचा जा सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र से इस मसले पर बात की गई. उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन ने पांचों एसटी सीटें जीत ली, इसले लिए बधाई तो मिलनी ही चाहिए. क्योंकि पूर्व में इनके पास दो सीटें ही थीं. इस बार शेष तीन सीटों पर भी जीत हुई. इससे अगर आप खुशी मना रहे हैं तो यह क्यों ना माना जाए कि विधानसभा में आप अपना बहुमत खो चुके हैं. आप अगर गैर रिजर्व सीटों पर करिश्मा दिखाते तो उसका आपको फायदा मिलता.
विधानसभा के दृष्टिकोण से देखें तो 81 में से 28 सीटें एसटी के लिए रिजर्व हैं. तब तो लोकसभा में जीत के हिसाब से इंडिया गठबंधन विधानसभा में बहुमत से दूर माना जाना चाहिए. यह अलग बात है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव का तौर-तरीका अलग होता है. लेकिन जब बात खुशी मनाने की हो तो दूसरे पहलू को भी समझना होगा. वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने कहा कि इंडिया गठबंधन के विधायक प्रदीप यादव और विनोद कुमार सिंह समेत कई विधायक अपने क्षेत्र में ही पिछड़ गये थे. अनूप सिंह के बेरमो और झामुमो के डुमरी में भी इंडिया गठबंधन पीछे रहा.
वरीष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने कहा कि हद तो ये है कि सीएम चंपाई सोरेन की सरायकेला सीट पर भी झामुमो पीछे रहा. जमशेदपुर की सभी विधानसभा क्षेत्रों में भी भाजपा आगे रही. जबकि यहां की सभी सीटें झामुमो और कांग्रेस के पास हैं. मजेदार बात है कि दुमका और नाला में यानी बसंत सोरेन और स्पीकर के क्षेत्र में भी भाजपा को बढ़त मिली है. यही नहीं मांडू से विधायक जेपी पटेल भी अपने क्षेत्र में पिछड़ गये. बड़कागांव में कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद के क्षेत्र में भी भाजपा आगे रही. बरही में ही भाजपा आगे रही. इसलिए इंडिया गठबंधन को आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आत्ममंथन करने की जरूरत है.
पांच एसटी सीटों का विधानसभावार समीकरण
एसटी के लिए रिजर्व पांचों लोकसभा सीटों की बात करें तो इसके दायरे में कुल 29 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से सारठ, तोरपा और खूंटी विधानसभा सीट भाजपा के पास है. सीता सोरेन की जामा सीट को भाजपा के साथ जोड़ने से यह संख्या 04 हो जाती है. शेष 25 सीटों पर झामुमो और कांग्रेस का कब्जा है. जाहिर है कि झारखंड में सरकार बनाने के लिए इंडिया गठबंधन को 15 गैर रिजर्व सीटों की जरूरत होगी. वर्तमान में कल्पना सोरेन के गांडेय उपचुनाव जीतने के बाद सत्ताधारी दलों के पास विधायकों की कुल संख्या 49 हैं. इनमें झामुमो के 30 और कांग्रेस के 17 के अलावा भाकपा-माले और राजद के एक-एक विधायक हैं.
- राजमहल लोकसभा क्षेत्र में राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़ और महेशपुर विधानसभा सीटें हैं.
- दुमका लोकसभा क्षेत्र में शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा और सारठ विधानसभा सीटें हैं.
- सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर विधानसभा सीटें हैं.
- खूंटी लोकसभा क्षेत्र में खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी, सिमडेगा और कोलेबिरा विधानसभा सीटें हैं.
- लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में मांडर, सिसई, गुमला, बिशुनपुर और लोहरदगा विधानसभा सीटें हैं.