अलवर : सोशल मीडिया का प्रभाव अब युवाओं पर बहुत गहरा हो चुका है. युवा वर्ग इस चकाचौंध से भरपूर दुनिया में खुद को शामिल करने के लिए उतावला हो रहा है. वे सोशल मीडिया पर जो देखते हैं, उसी तरह की लाइफ स्टाइल जीने का सपना देखने लगे हैं. कम समय में जल्दी से जीवन स्तर को बेहतर बनाने की चाहत में युवा शॉर्टकट अपनाने लगे हैं और यही शॉर्टकट कई बार उन्हें गलत रास्ते पर ले जाता है. इनमें से एक साइबर ठगी की वारदातें भी हैं. पिछले एक साल में अलवर पुलिस ने साइबर ठगों के खिलाफ जो कार्रवाई की है, उसमें ज्यादातर पकड़े गए अपराधी नाबालिग और 20-23 साल की उम्र के युवा हैं.
साइबर अपराध में युवा वर्ग की बढ़ती संलिप्तता :अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. तेजपाल सिंह ने बताया कि साइबर अपराध का यह सिलसिला पहले जिले के मेवात क्षेत्र में शुरू हुआ था, लेकिन अब यह अन्य इलाकों तक फैल चुका है. इसका एक मुख्य कारण यह है कि युवा एक जगह से बैठकर ही इंटरनेट के माध्यम से अन्य राज्यों और शहरों के लोगों से ठगी कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि अगर वे जल्दी अमीर बनेंगे तो उनका जीवन बेहतर हो जाएगा, लेकिन इसी लालच में वे साइबर अपराध की दुनिया में फंसते जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई युवा कम पढ़े-लिखे होते हुए भी साइबर क्राइम के जरिए लाखों रुपये की ठगी करने में सक्षम हो जाते हैं. पहले यह साइबर ठगी मेवात क्षेत्र के युवा ही करते थे, लेकिन अब अन्य वर्ग के युवा भी इस अपराध में शामिल हो चुके हैं.
साइबर अपराध में युवाओं की भागीदारी ज्यादा (ETV Bharat Alwar) इसे भी पढ़ें-अलवर में ठग चौकड़ी के चौंकाने वाले करनामे, पुराने सिक्कों को कम कीमत पर बेचने का झांसा देकर करते थे ठगी
फर्जी सिम कार्ड्स का इस्तेमाल :उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम को बढ़ावा देने में कुछ ट्रक चालक भी शामिल हैं. ये लोग विभिन्न राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मेघालय से फर्जी मोबाइल सिम खरीद कर लाते हैं. इसके बाद इन सिम कार्ड्स को साइबर अपराध में लिप्त युवाओं को बेच देते हैं, ताकि वे इन सिम कार्ड्स का उपयोग करके दूसरे राज्यों और शहरों में बैठे लोगों से ठगी कर सकें. इससे ये ठग लाखों रुपए की धोखाधड़ी करते हैं. अब तक कई साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं, जिनमें ठगों के तार मेवात से जुड़े हुए थे. अलवर पुलिस ने अन्य राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर कई ठगों को पकड़ा है, जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के अपराधी शामिल हैं.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. तेजपाल सिंह ने बताया कि अब मेवात में होने वाली साइबर ठगी अन्य स्थानों से भी जुड़ी हुई है. पिछले एक साल के पुलिस आंकड़ों के अनुसार, 20 से 23 साल के युवा इसमें ज्यादा शामिल हो रहे हैं. इसमें नाबालिगों का भी हिस्सा है. उन्होंने कहा कि पहले यह अपराध एक ही समुदाय के लोग करते थे, लेकिन अब विभिन्न समुदायों के युवा भी इसमें फंस चुके हैं. डॉ. तेजपाल सिंह ने बताया कि ये युवा ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते, लेकिन उन्हें तकनीकी ज्ञान होता है. इसका फायदा उठाकर वे इंटरनेट के जरिए दूसरे राज्यों में बैठे लोगों को अपने जाल में फंसा कर ठगी करते हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस मेवात के लोगों के साथ मिलकर युवाओं को समझा रही है कि वे इस तरह के अपराधों में न फंसे, क्योंकि इससे उनका जीवन बर्बाद हो सकता है.
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नए-नए तरीके अपनाकर ठगी :साइबर ठग अब लगातार नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को शिकार बना रहे हैं. पहले वे लोगों को नकली सोने की ईंटों का झांसा देते थे, फिर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सस्ती कीमत पर बाइक और अन्य चीजें बेचने का लालच देते थे. अब ठग सोशल मीडिया ऐप्स के जरिए फर्जी वीडियो बनाकर वायरल करने की धमकी देकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि साइबर ठगों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए जिले में "साइबर शील्ड अभियान" चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत पुलिस की टीम जिले के सभी थानों में सक्रिय है और साइबर अपराध के संदिग्ध क्षेत्रों में दबिश देकर अपराधियों को पकड़ रही है. इसके अलावा पुलिस ने साइबर क्राइम से जुड़े हजारों मोबाइल नंबर और IMEI नंबरों को ब्लॉक कराया है, ताकि इन अपराधियों के काम करने की संभावना को कम किया जा सके.