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तेंदुओं के संरक्षण में जयपुर ने पेश की मिसाल, बन रही लेपर्ड कैपिटल - International Leopard Day 2024

अंतरराष्ट्रीय तेंदुआ दिवस यानी आज इंटरनेशनल लेपर्ड डे है. इस खास दिन को मनाए जाने का मकसद दुनिया भर में जंगलों की इकोलॉजी के सामने मंडरा रहा संकट है. खास तौर पर इस संकट के कारण तेंदुओं की आबादी चुनौतियों का सामना कर रही है, उनके प्राकृतिक आवास, मानवीय जीवन में संघर्ष और वन्य उत्पादों के अवैध कारोबार के कारण तेंदुओं की आबादी पर संकट मंडराने लगा है. ऐसे में दुनिया को जागरूक करने के मकसद से हर साल 3 मई को इंटरनेशनल लेपर्ड डे मनाया जाता है

INTERNATIONAL LEOPARD DAY 2024
INTERNATIONAL LEOPARD DAY 2024 (File Photo : Etv bharat thumbnail Made)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 3, 2024, 2:02 PM IST

Updated : May 3, 2024, 2:23 PM IST

तेंदुओं के संरक्षण में जयपुर ने पेश की मिसाल (ईटीवी भारत वीडियो)

जयपुर.अंतरराष्ट्रीय तेंदुआ दिवस का मकसद इस वन्य जीव की पीड़ा पर ध्यान आकर्षित करना है, ताकि लोग इन्हें संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित हो सकें. लेपर्ड डे के जरिए लोगों को यह समझना होता है कि तेंदुओं के जीवन के लिए जरूरी आवास को संरक्षित रखने का महत्व कितना ज्यादा है. इस तरह से आबादी के बढ़ते असर के बाद वन्य जीवों के साथ बढ़ते संघर्ष पर अंकुश लगाया जा सके. लेपर्ड के कुनबे को संरक्षित करने की दिशा में जयपुर दुनिया के सामने एक उदाहरण बनकर सामने आया है. यहां तेंदुआ संरक्षित क्षेत्र और वन्यजीव कॉरिडोर स्थापित करने में कामयाबी मिली है. खास तौर पर झालाना से शुरू हुई लेपर्ड कंजर्वेशन की मुहिम, आमागढ़ होकर नाहरगढ़ रिजर्व तक पहुंची और दिल्ली रोड पर अचरोल तक कॉरिडोर विकसित किया गया. इस सफर में जहां जंगलात महकमे को लेपर्ड वर्सेज मैन लाइफ से जुड़े संघर्ष को रोकने में सफलता मिली है, वहीं बघेरों के कुनबे में भी इजाफा हुआ है.

जयपुर लेपर्ड कंजर्वेशन की मिसाल : लेपर्ड कंजर्वेशन की दिशा में जयपुर दुनिया के सामने एक उदाहरण बनकर सामने आया है. राजधानी की पैराफेरी में करीब 100 लेपर्ड का मूवमेंट देखा जा सकता है. वन्य जीव प्रेमी जयपुर को अघोषित रूप से लेपर्ड कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड भी कहने लगे हैं. जयपुर एकमात्र ऐसा शहर है, जहां दो लेपर्ड सफारी झालाना और आमागढ़ शुरू हो चुकी है, जबकि तीसरी सफारी नाहरगढ़ की तैयारी चल रही है. डीएफओ जगदीश गुप्ता के अनुसार मौजूदा वक्त में झालाना में 40 से ज्यादा लेपर्ड रह रहे हैं, तो आमागढ़ 20 से ज़्यादा, नाहरगढ़ 20 से अधिक, रामगढ़, अचरोल और बस्सी में भी 20 से अधिक लेपर्ड की आबादी रह रही है.

International Leopard Day 2024 (File Photo)

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देश में भी बढ़ा लेपर्ड का कुनबा : जंगलों को बचाने की कोशिश के साथ ही देश में तेंदुओं की आबादी को भी संरक्षण देने की कोशिशें रंग ला रही है. जंगलात महकमे के आंकड़ों के मुताबिक जहां देश में साल 2018 के 12 हज़ार 852 लेपर्ड थे, वहीं साल 2023 में इनकी संख्या 13 हजार 874 तक पहुंच गई. लेपर्ड्स की संख्या के लिहाज से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 3907 तेंदुए मौजूद हैं, जबकि महाराष्ट्र में 1985, कर्नाटक में 187 और तमिलनाडु में 1070 लेपर्ड मिले हैं. इसी तरह राजस्थान में लेपर्ड की संख्या 721 के आंकड़े पर जा पहुंची है.

International Leopard Day 2024 (File Photo)

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झालाना के जंगल बने मिसाल : प्रोजेक्ट लेपर्ड का आगाज जयपुर के झालाना से ही हुआ था. यह आज देश के सबसे पसंदीदा लेपर्ड रिजर्व के तौर पर पहचान स्थापित कर चुका है. मालवीय नगर औद्योगिक क्षेत्र से सटी पहाड़ी के आहते में करीब 700 हेक्टेयर क्षेत्र में झालाना सफारी मौजूद है. जहां फ़िलहाल 40 से ज्यादा बघेरे रह रहे हैं. इसी तरह झालाना की तर्ज पर विकसित हुआ आमागढ़ करीब 1524 हेक्टेयर में फैला हुआ है. यह लेपर्ड रिज़र्व झालाना और नाहरगढ़ अभयारण्य के बीच होने के कारण लेपर्ड कॉरिडोर विकास के नजरिए से इसे खासा अहम माना गया है.

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कई सिलेब्रिटीज कर चुकी है दीदार : जयपुर में बसे लेपर्ड रिजर्व का दीदार करने के लिए अब देश दुनिया से बड़ी संख्या में लोग यहां आने लगे हैं. बॉलीवुड स्टार्स से लेकर क्रिकेट जगत की जानी-मानी शख्सियत झालाना के जंगलों में जंगली जीवों का करीब से दीदार कर चुके हैं. साल 2023 में करीब 50 हज़ार विजिटर यहां पहुंचे थे. इसके साथ-साथ अब पर्यटक अब आमागढ़ की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं. जिससे जाहिर होता है कि कैसे जंगल और जंगली जीव को लेकर जयपुर में जंगलात महकमे की मुहिम रंग ला रही है.

Last Updated : May 3, 2024, 2:23 PM IST

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