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दुनिया का अनूठा परिवार, यहां एक छत के नीचे रहते हैं 6 हजार से अधिक लोग, नमाज और पूजा एक जगह - International Family Day

INTERNATIONAL FAMILY DAY, आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस है. इस अवसर पर इस स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे अनूठे परिवार की जानकारी जहां एक ही छत के नीचे 6 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. भरतपुर के अपना घर आश्रम में पूरे देश के अधिकांश जिलों के लोग रह रहे हैं. इतना ही नहीं यहां हर जाति-धर्म के बच्चे, युवा, महिला, पुरुष निवासरत हैं. आश्रम में जाति-धर्म के नाम पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता.

INTERNATIONAL FAMILY DAY
APNA GHAR ASHRAM OF BHARATPUR (फोटो : ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 15, 2024, 9:23 AM IST

एक छत के नीचे 6 हजार लोग (वीडियो : ईटीवी भारत)

भरतपुर.अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर यदि परिवार का असली रूप देखना है तो भरतपुर के अपना घर आश्रम को देखिए. यहां एक ही छत के नीचे 3 दिन की उम्र से 100 वर्ष से भी अधिक उम्र तक के 6 हजार से अधिक लोग हंसी खुशी रहते हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई अलग-अलग धर्मों के होने के बावजूद एक परिवार के सदस्यों की तरह सदैव एक-दूसरे की मदद करते हैं और एक-दूसरे की खुशी में भी शामिल होते हैं. जिले के बझेरा गांव में 100 बीघा क्षेत्र में फैला अपना घर आश्रम अपने आप में दुनिया का अनूठा परिवार है. इन लोगों का आपस में कोई रक्त संबंध नहीं है फिर भी अपना घर आश्रम परिवार के सदस्यों मिलजुल कर रहते हैं.

अनूठा है यह परिवार :अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में पूरे देश के अधिकांश जिले के लोग रह रहे हैं. इतना ही नहीं यहां हर जाति-धर्म के बच्चे, युवा, महिला, पुरुष निवासरत हैं. यहां 5 हजार से अधिक हिंदू, 500 से अधिक मुस्लिम, 50 से अधिक सिख, 25 से अधिक जैन, 20 से अधिक ईसाई और करीब 10 बौद्ध धर्म के लोग निवास कर रहे हैं. डॉ. भारद्वाज का कहना है कि संसार में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसमें हर उम्र, हर जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलजुलकर रह रहे होंगे.

क छत के नीचे रहते हैं 6 हजार से अधिक लोग (फोटो : ईटीवी भारत)

एक छत के नीचे पूजा और नमाज : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में जाति-धर्म के नाम पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता और ना प्रभुजनों के बीच रहता है. यही वजह है कि आश्रम में आध्यात्मिक केंद्र में एक छत के नीचे सभी धर्म के लोग अपनी अपनी इच्छा से प्रार्थना, नमाज, कीर्तन, अरदास करते हैं. सभी धर्मों के विशेष त्योहार और दिन के अवसर पर विशेष कार्यक्रम के आयोजन भी होते हैं, जिसमें सभी धर्म के लोग सामूहिक रूप से भाग लेते हैं.

कुल 6 हजार से अधिक लोग :

  • 3100 से अधिक माता-बहनें.
  • 2800 पुरुष.
  • 200 से अधिक बच्चे.
  • 5000 से अधिक हिंदू.
  • 500 से अधिक मुस्लिम.
  • 50 से ज्यादा सिख.
  • 25 से अधिक जैन.
  • 20 से ज्यादा ईसाई.
  • 10 बौद्ध धर्म के लोग.

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डॉ. भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में रहने वाले 3 दिन के बच्चे से लेकर 100 साल से अधिक उम्र तक के प्रत्येक शख्स को परिवार का सदस्य माना जाता है. हर उम्र के व्यक्ति की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाता है. बच्चों का परिवार की तरह पालन पोषण तो बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों की पूरी देखभाल की जाती है. कभी किसी व्यक्ति को उसके परिवार की कमी महसूस नहीं होने दी जाती.

धर्म जाति के आधार पर नहीं होता भेदभाव (फोटो : ईटीवी भारत)

गौरतलब है कि वर्ष 1993 से वर्ष 2000 तक डॉ. भारद्वाज दंपती ने अपने घर पर ही मानव सेवा की. उसके बाद वर्ष 2000 में एक बीघा जमीन खरीद कर उन्होंने अपना घर आश्रम शुरू किया. 6 कमरों के आश्रम में 23 प्रभु जी ( असहाय, बेसहारा लोग) की सेवा करते थे, लेकिन आज नेपाल समेत देश भर में आश्रम की 60 शाखाएं संचालित हैं. अपना घर आश्रम की सभी शाखाओं में 12 हजार से अधिक प्रभुजन निवासरत हैं.

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