भरतपुर.अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर यदि परिवार का असली रूप देखना है तो भरतपुर के अपना घर आश्रम को देखिए. यहां एक ही छत के नीचे 3 दिन की उम्र से 100 वर्ष से भी अधिक उम्र तक के 6 हजार से अधिक लोग हंसी खुशी रहते हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई अलग-अलग धर्मों के होने के बावजूद एक परिवार के सदस्यों की तरह सदैव एक-दूसरे की मदद करते हैं और एक-दूसरे की खुशी में भी शामिल होते हैं. जिले के बझेरा गांव में 100 बीघा क्षेत्र में फैला अपना घर आश्रम अपने आप में दुनिया का अनूठा परिवार है. इन लोगों का आपस में कोई रक्त संबंध नहीं है फिर भी अपना घर आश्रम परिवार के सदस्यों मिलजुल कर रहते हैं.
अनूठा है यह परिवार :अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में पूरे देश के अधिकांश जिले के लोग रह रहे हैं. इतना ही नहीं यहां हर जाति-धर्म के बच्चे, युवा, महिला, पुरुष निवासरत हैं. यहां 5 हजार से अधिक हिंदू, 500 से अधिक मुस्लिम, 50 से अधिक सिख, 25 से अधिक जैन, 20 से अधिक ईसाई और करीब 10 बौद्ध धर्म के लोग निवास कर रहे हैं. डॉ. भारद्वाज का कहना है कि संसार में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसमें हर उम्र, हर जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलजुलकर रह रहे होंगे.
एक छत के नीचे पूजा और नमाज : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में जाति-धर्म के नाम पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता और ना प्रभुजनों के बीच रहता है. यही वजह है कि आश्रम में आध्यात्मिक केंद्र में एक छत के नीचे सभी धर्म के लोग अपनी अपनी इच्छा से प्रार्थना, नमाज, कीर्तन, अरदास करते हैं. सभी धर्मों के विशेष त्योहार और दिन के अवसर पर विशेष कार्यक्रम के आयोजन भी होते हैं, जिसमें सभी धर्म के लोग सामूहिक रूप से भाग लेते हैं.