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भगवान श्रीराम ने नहीं किया था सीता का त्याग, इंदौर के राम भक्त प्रोफेसर ने रिसर्च कर लिखी पुस्तक - Indore book on Sita Nirvaasan

Indore Research on Ramayana:इंदौर के प्रोफेसर पवन कुमार मित्तल ने कई वर्षों के शोध के बाद सीता निर्वासन पर किताब लिखी है.इस किताब में सीता निर्वासन को लेकर बताया गया है कि यह सत्य था या षडयंत्र.

Indore Research on Ramayana
सीता निर्वासन पर लिखी किताब

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 6:07 PM IST

Updated : Feb 9, 2024, 9:16 PM IST

माता सीता के निर्वासन की वास्तविकता पर लिखी किताब

इंदौर। हिंदू धार्मिक ग्रंथ वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड में भले भगवान राम द्वारा माता सीता को त्यागने का उल्लेख मिलता हो लेकिन इसी ग्रंथ के अन्य भागों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं मिलता. इतना ही नहीं महाभारत और अन्य धार्मिक ग्रंथो में भी माता सीता को त्यागने का कोई उल्लेख नहीं मिलता. इंदौर के प्रोफेसर पवन कुमार मित्तल ने कई वर्षों के शोध के बाद लिखी अपनी पुस्तक में सीता को त्यागने के कथानक को काल्पनिक और भ्रामक बताया है. यह पहला मौका है जब हिंदू धर्म ग्रंथ रामायण में उल्लेखित किसी कथानक को इसी धर्म ग्रंथ में तथ्यों के आधार पर काल्पनिक बताया गया हो. दरअसल इस विषय पर पवन मित्तल ने न केवल पुस्तक लिखी है बल्कि वे सीता निर्वासन के सच को सार्वजनिक करने का अभियान भी चला रहे हैं.

वाल्मीकि रामायण में मिलता है उल्लेख

दरअसल वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड के सर्ग 45 से 49 में उल्लेख है कि रावण निर्जन दंडकारण से सीता का हरण करके लंका ले गया था. इसके बाद भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था लेकिन लंका से अयोध्या लाने के पूर्व माता सीता के अग्नि परीक्षा देने के बावजूद अयोध्या में माता सीता के शुद्ध आचरण को लेकर जब अपवाद फैलने लगा तो भगवान श्री राम ने उनका त्याग कर दिया था. इसके बाद माता सीता गंगा किनारे महात्मा वाल्मीकि के आश्रम में रहीं.

माता सीता जब धरती में समा गई

वाल्मीकि रामायण के सर्ग 95 से 97 में उल्लेख है कि महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही लव कुश के जन्म के पश्चात लव-कुश ने भगवान राम के दरबार में जब उत्तर रामायण का पाठ किया तब भगवान श्रीराम को ज्ञात हुआ की लव-कुश उनके पुत्र हैं और सीता का चरित्र शुद्ध है. इसके बाद भगवान राम ने सीता को दरबार में बुलाकर अपने निष्पाप होने की शपथ ग्रहण करने का आदेश दिया. इसके बाद श्रीराम की आज्ञा पर माता सीता दरबार में पहुंची और उन्होंने अपनी शुद्धता प्रमाणित करने के बाद कहा की यदि मैं मनवाणी और क्रिया से केवल राम की आराधना करती हूं तो पृथ्वी देवी मुझे अपने गोद में स्थान दें. इसके बाद माता सीता धरती में समा गई.

'सीता परित्याग का कथानक षड्यंत्र'

डॉ पवन कुमार मित्तल ने लंबी रिसर्च के बाद कहा कि "जब माता सीता लंका से लौटने पर अग्नि परीक्षा दे चुकी थीं तो अयोध्या लौटने पर उनका परित्याग करने का कथानक महज षड्यंत्र है." पुस्तक में दावा किया गया है कि भगवान श्रीराम लोक निंदा के भय से कभी सत्य का साथ नहीं छोड़ सकते थे ऐसी स्थिति में माता सीता को त्यागना भ्रम है. लंका कांड के सर्ग 117 एवं 118 में उल्लेख है कि स्वयं ब्रह्मा एवं अग्नि देव ने माता सीता की पवित्रता स्थापित की थी और प्रभु श्रीराम को विष्णु का अवतार बताया था इसके बावजूद माता सीता को त्यागने का प्रश्न नहीं उठता.

सीता निर्वासन पर लिखी किताब

लेखक डॉ पवन कुमार मित्तल ने सीता निर्वासन सत्य अथवा षडयंत्र पुस्तक लिखी है. उन्होंने पुस्तक के माध्यम से कहा कि भगवान राम द्वारा सीता को त्यागने की काल्पनिक कथा विधर्मियों द्वारा प्रस्तुत की गई. समय बीतने के साथ जनमानस ने उसे स्वीकार कर लिया. डॉ मित्तल के मुताबिक न केवल वाल्मीकि रामायण के बाल काण्ड में बल्कि महाभारत में रामायण के उल्लेख में भी सीता के परित्याग का कोई उल्लेख नहीं है. इसके अलावा खुद रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि को सुनाई गई नारद जी की राम कथा में भी सीता के निर्वासन का जिक्र नहीं है.

6 साल के रिसर्च के बाद लिखी किताब

डॉ पवन कुमार मित्तल ने कई सालों तक हिंदू धर्म ग्रंथ तमाम संदर्भों के रिसर्च के बाद इस विषय पर जो किताब लिखी है उसमें स्पष्ट किया गया है कि भगवान राम जो मर्यादा पुरुषोत्तम है, वह माता सीता का परित्याग नहीं कर सकते थे. इसी बात को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने 6 साल के रिसर्च के बाद यह स्पष्ट किया कि यह कथानक ही भ्रम पूर्ण है. हाल ही में इस विषय पर लिखी गई पुस्तक सीता निर्वासन सत्य अथवा षड्यंत्र प्रकाशित की गई है. यह पुस्तक कई प्लेटफार्म पर भी मौजूद है.

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वास्तविकता को लेकर अभियान

पवन मित्तल ने कहा कि खुद भगवान राम के भक्त होने के कारण विभिन्न कॉलेजों में छात्रों एवं शिक्षाविदों को महर्षि वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड की वास्तविकता को लगातार बताने का अभियान चला रहे हैं. वह कई कॉलेजों में अब अपनी पुस्तक और उसमें उल्लेखित वास्तविकता से राम भक्तों को रूबरू भी कर रहे हैं.

Last Updated : Feb 9, 2024, 9:16 PM IST

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