इंदौर: तिरुपति मंदिर में दूषित प्रसाद के वितरण पर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तीखी आपत्ति जताई है. उन्होंने शनिवार को इंदौर में कहा मैंने भी वहां का प्रसाद कई बार खाया है. अब घटनाक्रम पता चलने पर मुझे ग्लानि हो रही है कि मैंने क्या पता कौन सी चर्बी खाई है. इसलिए मन में बहुत गुस्सा है, जिन्होंने यह काम किया है उन्हें मृत्यु दंड देना चाहिए.
कैलाश विजयवर्गीय ने की फांसी की मांग
तिरुपति मंदिर में हुए इस घटनाक्रम के बाद देश के तमाम साधु-संत दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इधर राजनीतिक रूप से भी इस मामले में आपत्ति दर्ज करवाई जा रही है. मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "इस तरह लोगों का धर्म भ्रष्ट करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. लोग इस तरह की हरकत करके सनातन धर्म के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. यह बहुत दुख की बात है. उन्होंने कहा जब टीवी पर यह खबर चल रही थी तो मैं भोजन कर रहा था लेकिन भोजन नहीं कर पाया क्योंकि मैंने भी कई बार वहां का प्रसाद खाया है. मुझे लगा कि पता नहीं मैंने कौन सी चर्बी खाई है. इसलिए मन में बहुत गुस्सा है और ग्लानि भी है लेकिन यह काम जिन लोगों ने किया है उन्हें जरूर मृत्यु दंड मिलना चाहिए."
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का दावा
बता दें कि 3 दिन पहले ही बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का उपयोग किया जा रहा था. हाल ही में चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सूचना के आधार पर लड्डुओं के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF ltd) भेजे थे जिसकी रिपोर्ट 16 जुलाई को आई थी. इस रिपोर्ट में लड्डुओं को तैयार करने के लिए घी भेजे जाने वाली एक फर्म के सैंपल में इस तरह की मिलावट पाई गई. इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद साधु संत सहित कई राजनीतिक दल के लोग दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.