इंदौर:आईआईटी इंदौर तकनीक के साथ-साथ मेडिकल के क्षेत्र में भी लगातार नवाचार कर रहा है. तकनीकी उपकरणों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों और तकनीक को अपग्रेड करने और नई तकनीक पर शोध कार्य करने का कार्य बड़े स्तर पर किया जा रहा है. आईआईटी इंदौर ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) उपकरणों और कार्डियक पेसमेकर की सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ाने का काम करती है. इस नई तकनीक का फोकस वीएलएसआई सेमीकंडक्टर और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में है. इस शोध का निष्कर्ष प्रतिष्ठित पत्रिका 'नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुआ है. आईआईटी इंदौर के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर अनिर्बन सेनगुप्ता के नेतृत्व में पीएचडी छात्र आदित्य अंशुल सहित टीम ने यह उपलब्धि हासिल की है. इस तकनीक पर भारतीय पेटेंट कार्यालय से पेटेंट प्राप्त हुआ है.
असली और नकली चिप में बताएगी अंतर
आईआईटी इंदौर की टीम द्वारा विकसित नई तकनीक को ईसीजी उपकरणों और पेसमेकर के लिए सुरक्षित एवं संरक्षित चिप्स बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें एक ऐसी महत्वपूर्ण विशेषता शामिल है जो उपकरणों में निर्मित या एकीकृत होने से पहले वास्तविक और नकली ईसीजी डिटेक्टर चिप्स के बीच का अंतर बतलाती है. यह क्षमता ईसीजी उपकरणों और कार्डियक पेसमेकर की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने गलत निदान और त्रुटियों के जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है. जो अधूरे उपचार का कारण बन सकती है.
सुरक्षित ECG उपकरण विकसित (ETV Bharat) ईसीजी रीडिंग की विश्वसनीयता महत्वपूर्ण
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा "आजकल कार्डीओवैस्क्यलर संबंधी बीमारियों और उनकी स्थितियों का सटीक पता लगाना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है. ईसीजी उपकरण जो हृदय की स्थितियों की निगरानी के लिए मुख्य हैं, इलेक्ट्रोड के माध्यम से हृदय के विद्युत संकेतों को कैप्चर करके कार्य करते हैं. इसके बाद हृदय स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए इन संकेतों की व्याख्या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा की जाती है. इसके अलावा ईसीजी डिटेक्टर कार्डियक पेसमेकर के अभिन्न अंग हैं, जो रोगियों में हृदय की लय को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. इसलिए ईसीजी रीडिंग की विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है."
हार्ट ट्रीटमेंट में इंदौर आईआईटी का इनोवेशन (ETV Bharat) मरीजों को मिलेगी सटीक चिकित्सा
नवीन तकनीक परिषद कार्य करने वाली टीम का निर्देशन करने वाले प्रोफेसर अनिर्बन सेनगुप्ताके अनुसार "यह तकनीक न केवल ईसीजी उपकरणों में इस्तेमाल की जाने वाली चिप्स को सुरक्षित करती है साथ ही यह भी गारंटी देती है कि इन उपकरणों में एक अद्वितीय फिंगरप्रिंट हॉलमार्क के साथ प्रामाणिक चिप्स हैं. इस तरह के नवाचार सुरक्षित और भरोसेमंद ईसीजी उपकरणों के विकास को सक्षम करके चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं. प्रौद्योगिकी में प्रगति अधिक विश्वसनीय ईसीजी उपकरण और कार्डियक पेसमेकर प्रदान करके हृदय स्वास्थ्य निगरानी में बदलाव लाने की क्षमता रखती है. इसका अंतिम लक्ष्य निदान प्रक्रिया में मौजूदा सीमाओं को दूर करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीजों को सटीक और प्रभावी चिकित्सा देखभाल मिले और साथ ही समग्र परिणामों में सुधार हो."