इंदौर: कहते हैं कि रुपयों-पैसों से दुनिया की हर चीज खरीदी जा सकती है लेकिन देश में पुराने नोट और सिक्कों का ऐसा भी बाजार है, जहां खुद दुर्लभ रूपयों और पैसों की बोली लगती है. इस बाजार में देश भर से अलग-अलग मुद्रा कलेक्ट करने वाले व्यापारियों से लोग इन्हें खरीदते हैं. वहीं इस बाजार में लोग अपने पास मौजूद प्राचीन मुद्राओं को बेचते भी हैं. यानि इस मनी मेले में सिक्कों और रेयर करेंसी की हर साल बड़े पैमाने पर खरीदी बिक्री होती है.
दुर्लभ मुद्राओं को खरीदने बेचने का बाजार
देश और दुनिया में अरसे से तरह-तरह की करेंसी कलेक्शन करना लोगों का शौक रहा है. इन तमाम लोगों के पास ऐसे प्राचीन सिक्के, मुद्रा और भारतीय के साथ देसी विदेशी नोट अलग-अलग रूपों में मौजूद हैं जो समय के साथ दुर्लभ हो चुके हैं. ऐसी स्थिति में देश में विभिन्न मुद्रा व्यवसायी और लोगों के पास अब प्राचीन से प्राचीन दुर्लभ मुद्रा का कलेक्शन है, जिन्हें बेचने के लिए अपना एक अलग बाजार है.
इंदौर के मनी मेला में दुर्लभ नोट और सिक्के (ETV Bharat) इंदौर के मनी मेला में दुर्लभ नोट और सिक्के
इंदौर में ऐसा ही एक मनी मेला शहर के गांधी हाल में लगा है, जहां देश भर से मुद्रा एकत्र करने वाले व्यवसायी और खरीदी बिक्री करने वाले शौकीन तरह-तरह की दुर्लभ मुद्राओं की खरीदी बिक्री कर रहे हैं. इस बाजार में न केवल भारतीय बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों की प्राचीन मुद्राएं मौजूद हैं. मुद्रा बाजार में भारत में गंधार जनपद द्वारा जारी किए गए पहले सिक्के से लेकर मोहन जोदड़ो और मौर्य काल और तीसरी सदी से लेकर अब तक की मुद्राओं की धरोहर मौजूद है. इसके अलावा यहां प्राचीन राजा महाराजाओं द्वारा चलाई गई मुद्रा से लेकर अब तक जारी हुए तमाम नोट मौजूद हैं. इसके अलावा प्राचीन से प्राचीन नोटों की नंबर के साथ गड्डी मौजूद हैं.
पुराने नोट और सिक्कों का बाजार (ETV Bharat) पुराने नोटों और सिक्कों के कलेक्शन को खरीदते भी हैं व्यवसायी (ETV Bharat) ऐसे तय होती है मुद्रा की कीमत
सूरत से आए मुद्रा व्यवसायी संजू जैन बताते हैं कि "मुद्रा बाजार में किसी भी करेंसी की कीमत उसकी प्राचीनता और संख्या पर निर्भर करती है. जिसकी कीमत 50 रुपये से लेकर 50 लाख तक हो सकती है. इनकी कीमत का आंकलन इस बात से होता है कि वह कितने साल पुरानी है क्योंकि मुद्रा बाजार में उस मुद्रा को तभी दुर्लभ माना जाता है जब वह कम से कम 100 साल पुरानी हो. जिन लोगों के पास प्राचीन एंटीक मुद्राएं हैं वह इस बाजार में अपने कलेक्शन की बोली लगाते हैं और व्यवसायी उसकी कीमत का आंकलन करके खरीदते हैं."
एंटीक क्वाइन फेयर (ETV Bharat) एंटीक क्वाइन फेयर (ETV Bharat) 5000 से 10000 रुपये के नोट की कीमत लाखों में
मुद्रा व्यवसायी संजू जैन का कहना है कि "दुर्लभ नोट जो सीमित समय के लिए चलाए गए उनकी कीमत अब लाखों में है. 1977 में मोरारजी देसाई ने 5000 और 10000 के नोट चलाए थे लेकिन अब उनकी कीमत 10 लाख से लेकर 20 लख रुपये तक भी है, क्योंकि लोगों को पता ही नहीं है कि भारत में कभी 5000 या 10000 के नोट भी होते थे. इसके अलावा जिन नोटों की संख्या बहुत कम है उनकी कीमत भी सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और महापुरुषों के बलिदान को दर्शाने वाले नोटों और सिक्कों की कीमत भी अधिक होती है."
एंटीक क्वाइन फेयर (ETV Bharat) दुर्लभ नोटों की लगती है बोली (ETV Bharat) नदियों से होता था सिक्कों का कलेक्शन
खंडवा के मुद्रा व्यवसायी भगवान सिंह ठाकुर बताते हैं कि "प्राचीन समय में सर्वाधिक मुद्रा नदियों में पाई जाती थी क्योंकि आस्था के चलते लोग नदियों में पैसा चढ़ाते थे. उज्जैन स्थित क्षिप्रा नदी से ही मोहन जोदड़ो काल की टेराकोटा मुद्रा के अलावा मौर्यकालीन और प्राचीन पंचमार्क समेत तरह-तरह के सिक्के मिले हैं. यही स्थिति नदियों को लेकर भी रही हालांकि अब इस तरह के सिक्कों की डिमांड इसलिए भी है क्योंकि नई पीढ़ी इन्हें देख सके कि प्राचीन दौर में उनके पूर्वज किस तरह की मुद्रा का उपयोग वस्तु विनिमय के लिए करते थे. वही बड़ी संख्या में ऐसे युवा भी हैं जो अब प्राचीन मुद्रा कलेक्शन की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं."
मेले में प्राचीन समय के सिक्के (ETV Bharat)