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दुख से उबरने का मार्ग है चिंतन, कैदियों को बौद्ध धर्म गुरुओं ने सिखाया ये पाठ

इंदौर सेंट्रल जेल में कैदियों को गौतम बुद्ध के उपदेश दिए गए. धर्म गुरुओं ने दुख से उबरने का उपाय बताया.

INDORE CENTRAL JAIL BUDDHA SERMONS
इंदौर सेंट्रल जेल में बुद्ध प्रवचन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

इंदौर: क्रोध और अहिंसा के मार्ग को छोड़कर सम्राट अशोक ने जिन उपदेशों को सुनकर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली. उन्हीं उपदेशों से अब जेल में बंद कैदियों का हृदय परिवर्तन किया जा रहा है. इंदौर की सेंट्रल जेल में उज्जैन के बौद्ध धर्म गुरुओं ने कैदियों को हिंसा का मार्ग छोड़कर करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की नसीहत दी.

तथागत गौतम बुद्ध के उपदेश दिए

इंदौर सेंट्रल जेल परिसर में कैदियों के जीवन में सुधार के लिए इस तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं. बुधवार को शांति और अहिंसा का संदेश देने वाले तथागत गौतम बुद्ध के उपदेशों पर आधारित प्रवचन का आयोजन किया गया. यह प्रवचन उज्जैन के भंते धम्म किरण बोधि जी और भदंत धम्म बोधि जी ने दिया, जिसे जेल परिसर में सभी कैदियों ने ध्यान पूर्वक सुनकर उसे अपने जीवन में पालन करने का संकल्प भी लिया.

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'दुख से उबरने का मार्ग है चिंतन'

जेल में हुए प्रवचन के दौरान जेल अधीक्षक अलका सोनकर भी मौजूद रहीं, उन्होंने कैदियों को बुद्ध के अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प दिलाया. इस मौके पर बौद्ध धर्म गुरु भंते धम्म किरण बोधि जी ने कहा कि "जेल में कैदियों को बौद्ध धर्म के उपदेश देने का मुख्य उद्देश्य कैदियों के जीवन से दुखों को कम करना और उन्हें सत्य और अहिंसा का संदेश देना है. हर व्यक्ति के जीवन में दुख है, जिसका कोई न कोई कारण है. ऐसे में यदि उस कारण पर चिंतन किया जाए, तो दुख से उबरने का मार्ग निकल सकता है."

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