जयपुर.राजस्थान की सियासी जमीन पर इस बार विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक राजनीतिक तपिश हर दिन बढ़ती हुई दिखाई दी है. लोकसभा चुनाव के दौरान ये तपिश तब और भी बढ़ी, जब दलबदलने वाले नेताओं की बड़ी संख्या देखने को मिली. वैसे तो दलबदलू नेताओं की संख्या कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी में रही, लेकिन कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वालों नेताओं की संख्या औसत से ज्यादा रही है. भाजपा के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 में ही 10 हजार से ज्यादा अन्य दलों के नेताओं ने बीजेपी और पीएम मोदी पर विश्वास जताकर भाजपा का दामन थामा. इनमें करीब दो दर्जन नेता तो ऐसे हैं, जो कांग्रेस में बड़ी हैसियत रखते थे. इनमें से दो नेताओं को तो पार्टी ने चुनाव मैदान में प्रत्याशी बनाकर उतार दिया, लेकिन अब बाकी दलबदलू नेताओं की भूमिका लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हैं. पार्टी के भीतर जहां लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर मंथन जारी है, वहीं सियासी हलकों में ये चर्चा बनी हुई है कि आखिर दूसरे दलों से आए नेताओं की भूमिका क्या होगी.
वफादारी का मिलेगा इनाम ? :भाजपा में जॉइनिंग के समय कमोबेश सभी नेताओं ने कहा था कि उनकी कोई पद की लालसा नहीं, वो सिर्फ देश के प्रधानमंत्री की कार्यशैली से प्रभावित और पार्टी की विचारधारा से होकर आए हैं. दूसरे दलों से आए नेताओं ने लोकसभा चुनाव के दौरान जमीनी स्तर पर मेहनत भी की. ऐसे में एक संभावना जताई जा रही है कि इन तमाम नेताओं को उनकी सक्रियता और चुनावी परफॉर्मेंस के आधार पर सत्ता और संगठन में जगह दी जा सकती है. जानकारों की मानें तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए नेताओं के लिए अपने आप के लिए जगह बनाना इतना आसान नहीं है, लेकिन जनाधार और क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं को बीजेपी जोड़कर रखने की कोशिश करेगी.