गरीबी रेखा में उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की ऊंची छलांग देहरादून: उत्तराखंड में बहुआयामी गरीबी के तहत सबसे ज्यादा परिवार हरिद्वार में हैं. नीति आयोग ने हाल ही में बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 जारी किया है. इसके तहत प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या कुल आबादी के 9.67% है, जबकि इससे पहले साल 2015-16 में राज्य की कुल जनसंख्या के 17.67% लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे थे. कुल मिलाकर पिछले 5 साल में करीब 9 लाख 17,299 लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं.
आंकड़ों के जरिए जानिए मैदानी जिलों की स्थिति मैदानी जिलों में गरीबी रेखा से बाहर निकले लोग:उत्तराखंड में गरीबी रेखा से बाहर निकालने के मामले में 5 साल के दौरान राज्य ने बेहतर प्रगति की है. हालांकि इस मामले में मैदानी जिलों में भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं, लेकिन मैदानी जिलों में सबसे ज्यादा गरीबी रेखा से नीचे लोग निवास कर रहे हैं. इसके पीछे की वजह मैदानी जिलों में जनसंख्या का बेहद ज्यादा होना भी है. इसीलिए आज भी यहां पर गरीबी रेखा से नीचे वालों की संख्या भी ज्यादा है. मामले में देहरादून की स्थिति कुछ अलग नजर आती है.
उत्तराखंड में गरीबी सूचकांक के महत्वपूर्ण आंकड़े प्रेमचंद अग्रवाल बोले हर क्षेत्र में बेहतर काम रही सरकार:नैनीताल जनपद में 10.009 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे निवास कर रहे हैं. उत्तराखंड में जीडीपी के लिहाज से मैदानी जिलों की स्थिति बेहतर रही है और पर्वतीय जनपद इस मामले में पिछड़ते हुए दिखाई दिए हैं. लेकिन जहां तक बात गरीबी रेखा से बाहर निकलने वाले लोगों की है, तो इसमें पर्वतीय जनपदों के लोग ज्यादा गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं. वहीं, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल कहते हैं कि, राज्य सरकार सभी क्षेत्रों में बेहतर काम कर रही है. ऐसे में पूरे प्रदेश को इसका लाभ मिल रहा है और लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल रहे हैं. दूसरी तरफ पर्वतीय जनपदों से चुनकर आने वाले विधायक भी पर्वतीय जनपद में लोगों के गरीबी रेखा से बाहर आने के पीछे का कारण विभिन्न योजनाओं को मानते हैं.
गरीबों के लिए चल रहीं बेहतर योजना:देवप्रयाग से विधायक विनोद कंडारी ने बताया कि केंद्र सरकार की कई योजनाएं ऐसी चल रही हैं, जो सीधे तौर पर गरीब परिवारों का फायदा कर रही हैं. ऐसे में इससे गरीबों को इसका लाभ मिल रहा है और लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल रहे हैं.
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