जोधपुर : बागेश्वर धाम के प्रमुख संत धीरेंद्र शास्त्री ने महाकुंभ के महत्व को लेकर अपनी बात रखी और इसे सनातन धर्म की अद्भुत प्रकृति का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि महाकुंभ को केवल रील्स में नहीं, बल्कि रियल लाइफ में देखा जाना चाहिए. इसमें हजारों साधु-संत शामिल होते हैं, जो सनातन धर्म को जीवित रखने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन रील्स में महाकुंभ को कुछ ही व्यक्तियों तक सीमित कर दिया जाता है.
महाकुंभ भारतीय सनातन संस्कृति का प्रतीक : बुधवार को जोधपुर में एक समारोह में भाग लेने आए धीरेंद्र शास्त्री ने एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि महाकुंभ भारतीय सनातन संस्कृति की एकता और भव्यता का प्रतीक है. यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोगों को आकर्षित करता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्टीव जॉब्स की पत्नी कमला और फ्रांसीसी नागरिक भी यहां डुबकी लगाने आते हैं. इसके अलावा, अमेरिका से भी लोग इस महाकुंभ में भाग लेने के लिए आते हैं. यह समरसता का प्रतीक है, क्योंकि सनातन धर्म सबको अपनी बाहों में समाहित करता है, जबकि अन्य धर्मों में ऐसा नहीं होता.
जोधपुर में धीरेन्द्र शास्त्री का बयान (ETV Bharat Jodhpur) इसे भी पढ़ें-पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने किए श्रीनाथजी के दर्शन, कहा-युवा रील पर नहीं रियल पर ध्यान दें
संगम के महत्व को जानने की आवश्यकता : धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि वर्तमान में महाकुंभ का उद्देश्य कहीं न कहीं भटक रहा है. वे चिंतित हैं कि आजकल कुंभ के बारे में केवल कुछ युवतियों और बाबाओं पर चर्चा की जा रही है, जबकि महाकुंभ का असली उद्देश्य सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार है. उन्होंने उदाहरण दिया कि कुंभ में बहुत सारे साधु-संत जप और तप कर रहे हैं, लेकिन चर्चा का केंद्र केवल कुछ ही लोग बन गए हैं. इसके अलावा, उन्होंने महाकुंभ के बाद साधु-संतों का कहां चले जाना और संगम का महत्व जानने की आवश्यकता को भी बताया. धीरेंद्र शास्त्री ने यह स्पष्ट किया कि महाकुंभ का आयोजन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से किया गया है, लेकिन कुछ लोग इसके वास्तविक उद्देश्य को भटका रहे हैं.
धीरेंद्र शास्त्री ने इस दौरान बागेश्वर धाम में धर्मांतरण रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत में आदिवासी समुदाय धर्मांतरण का सबसे बड़ा निशाना बनता है. इस दिशा में बागेश्वर धाम ने हाल ही में आदिवासी समाज के 1200 लोगों को महाकुंभ यात्रा में शामिल किया था और 19 जन जागरण अभियान की शुरुआत की थी. साथ ही, बागेश्वर मंडल के तहत हर गांव में हनुमान चालीसा का प्रचार किया जाएगा, जिससे धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.