डूंगरपुर: जिले में वासन्ती उल्लास और उमंग के महापर्व बसंत पंचमी पर बेणेश्वर धाम के पीठाधीश्वर गोस्वामी महंत अच्युतानंद महाराज ने साबला कस्बे में माव संप्रदाय की विश्वपीठ हरिमंदिर पर सप्तरंगी ध्वज फहराकर बसंतोत्सव पर्व का आगाज किया. इसके साथ ही आगामी एकादशी को आदिवासियों के महाकुंभ कहे जाने वाले राष्ट्रीय बेणेश्वर मेले का भी आगाज होगा.
जिले के साबला हरी मंदिर में महंत अच्युतानंद महाराज ने भगवान निष्कलंक सहित मां शारदे की पूजा-अर्चना की. इस दरम्यान संत मावजी के भक्त साद समाज के लोगों ने वासन्ती उल्लास के इस महापर्व पर भजन-कीर्तन कर माहौल को भक्तिमय बना दिया. पीठाधीश्वर ने परम्परानुसार सप्तरंगा ध्वज पर आम्र पल्लव व मंजरी चढ़ाकर आरती उतारी. बाद में माव महल के शिखर पर सप्तरंगा ध्वज को फहराकर वागड़ अंचल में बंसतोत्सव पर्व का आगाज किया. सदियों पुरानी प्रथानुसार पीठाधीश्वर ने संत मावजी की वाणियों का गायन करने वाले साद भक्तों सहित मंदिर में हर रूप से सेवा करने वाले भक्तों को इनाम राशि व श्रीफल भेंट किया. बसंतोत्सव के साथ ही आगामी एकादशी को राष्ट्रीय बेणेश्वर मेले का भी आगाज होगा.
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बेणेश्वर मुख्य मेला 12 फरवरी को: सोम, माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम बेणेश्वर धाम पर 8 फरवरी से मेले की शुरुआत होगी. राधा कृष्ण मंदिर पर महंत के साथ मावभक्तों की ओर से सप्तरंगी ध्वजा फहराकर मेले की शुरुआत होगी. जिसमें राजस्थान समेत गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से हजारों की संख्या में माव भक्त पहुंचेंगे. 10 दिनों तक चलने वाले मेले में 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन मुख्य मेला भरेगा.
इस दिन महंत अच्युतानंद महाराज की पालकी यात्रा और शाही स्नान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा. महंत अच्युतानंद महाराज हजारों भाव भक्तों के साथ भजन कीर्तन करते हुए पालकी में सवार होकर साबला हरिमंदिर से बेणेश्वर धाम के लिए रवाना होंगे. वहीं सोम, माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम आबूदर्रा घाट पर शाही स्नान होगा. इस दिन हजारों की संख्या में लोग अपने पितरों का तर्पण और अर्पण करेंगे. वहीं त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर धाम पर स्थित मंदिरों में दर्शन करेंगे.