गिरिडीह: रणविजय महतो, नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का रीजनल कमेटी मेंबर, 15 लाख का इनाम. बोकारो जिले के चंद्रपुरा थाना क्षेत्र के बेहराटांड़ निवासी इस नक्सली को अब गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं गिरिडीह जिले के खुखरा थाना क्षेत्र के चतरो निवासी रणविजय की पत्नी शांति मारी जा चुकी है.
इसी तरह गिरिडीह के पीरटांड़ थाना क्षेत्र के धावाटांड़ निवासी नक्सली मनोज टुडू भी मारा गया है. यह सफलता बोकारो पुलिस को मिली है, लेकिन इसका सीधा असर पारसनाथ में पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
रणविजय के सहारे शीर्ष नक्सली नेताओं तक पहुंचने की जुगत
माना जा रहा है कि रणविजय के पकड़े जाने से पुलिस को संगठन के शीर्ष नेताओं पोलित ब्यूरो मेंबर मिसिर बेसरा, केंद्रीय कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक, केंद्रीय कमेटी मेंबर पतिराम मांझी उर्फ अनल के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है. यह पता चल सकता है कि संगठन के अंदर अभी क्या चल रहा है. चूंकि रणविजय का पारसनाथ से लेकर झुमरा (गिरिडीह, बोकारो और धनबाद जिला) तक आतंक रहा है. इन तीनों जिलों में हुई कई घटनाओं में रणविजय की संलिप्तता रही है.
रणविजय के खिलाफ बोकारो में 18, गिरिडीह में 14 और धनबाद जिले में एक मुकदमा दर्ज है. ये 33 मामले बताते हैं कि रणविजय संगठन का कितना भरोसेमंद था. कैसे संगठन पारसनाथ जोन में होने वाली छोटी-बड़ी घटनाओं में रणविजय को शामिल करता रहा था. ये बातें बताती हैं कि रणविजय के पास संगठन का अहम राज है, जिसे उजागर करने पर पारसनाथ से लेकर झुमरा, झुमरा से लेकर सारंडा तक असर हो सकता है. कहा जा सकता है कि रणविजय की गिरफ्तारी से भाकपा माओवादी को बड़ा झटका लगना तय है.
पांच गार्ड की हत्या में भी शांति का नाम
इसी तरह पेक नारायणपुर थाना क्षेत्र में मुठभेड़ में मारी गयी शांति पिछले डेढ़-दो दशक से सक्रिय रही है. झारखंड के गिरिडीह के अलावा शांति बिहार के जमुई इलाके में भी सक्रिय थी. शांति सबसे ज्यादा चर्चा में साल 2015 में आई थी जब भेलवाघाटी थाना क्षेत्र से विस्फोटक बरामद हुआ था. उस दौरान शांति का नाम प्रमुखता से सामने आया था.