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कहीं खुशी कहीं गम! ट्रांसफर पॉलिसी स्थगित होने के बाद क्या कहते हैं बिहार के शिक्षक?

पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी स्थगित कर दिया गया है. इससे कहीं खुशी तो कहीं गम वाले हालात हो गए हैं.

शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी रद्द होने पर शिक्षकों की राय
शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी रद्द होने पर शिक्षकों की राय (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 4 hours ago

पटनाःबिहार शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की स्थानांतरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस कार्रवाई से शिक्षकों के बीच दो तरह के हालात हो गए हैं. शिक्षकों के बीच इसका असर देखने को मिल रहा है. जो नियोजित शिक्षक हैं और दूर पदस्थापन नहीं चाहते हैं वे काफी खुश हैं लेकिन बीपीएससी से बहाल शिक्षक की उम्मीदें टूट गई है.

बीपीएससी शिक्षकों की मांगः बिहार युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने इसको लेकर नाराजगी जतायी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत बीपीएससी से नियुक्त करीब 2 लाख शिक्षकों को ट्रांसफर पॉलिसी स्थगित होने से बड़ा झटका लगा है. खासकर महिला शिक्षकों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी ने बड़ी राहत दी थी.

शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी रद्द होने पर शिक्षकों की राय (ETV Bharat)

"शिक्षक अपने घर से 200-300 किलोमीटर दूर पदस्थापित शिक्षकों को यह उम्मीद थी की नई ट्रांसफर पॉलिसी आने के बाद उन सब का ट्रांसफर अपने घर के नजदीक हो सकेगा. ट्रांसफर पॉलिसी आने से पूरे परिवार में खुशी थी कि अब वे नौकरी घर के इर्द गिर्द कर सकेंगे. लेकिन इसे रद्द होने के बाद शिक्षक नाराज हैं."-दीपांकर गौरव

बीपीएससी शिक्षकों का ट्रांसफर की मांगःदीपांकर गौरव ने कहा कि शिक्षा विभाग के ट्रांसफर पॉलिसी स्थगित करने के बाद बीपीएससी शिक्षकों में मायूसी छा गई है. उन्होंने कहा कि ई-शिक्षाकोष के माध्यम से 1.30 लाख से अधिक शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन दे दिया है. उनका ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए. वह सरकार से मांग करते हैं कि जो बीपीएससी शिक्षक स्थानांतरण के लिए आवेदन किए हैं, सरकार उनका स्थानांतरण करे. अन्यथा नाराज शिक्षक आंदोलन भी कर सकते हैं.

नियोजित शिक्षकों में खुशी: सक्षमता उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक स्थानांतरण नीति स्थगित होने से काफी खुश है. टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नितेश कुमार ने इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री सुनील कुमार को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि यह ट्रांसफर नीति और व्यावहारिक था जिससे शिक्षक संतुष्ट नहीं थे.

"ट्रांसफर नीति के कई बिंदुओं पर आपत्ति को लेकर शिक्षा मंत्री बिहार सरकार और राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया था. ऐसे में सरकार ने इसे स्थगित करने और बाद में संशोधित स्थानांतरण नीति लाने की बात कही है जो शिक्षकों की जीत है. वह इस फैसले से खुश हैं."-नितेश कुमार

पॉलिसी रद्द करना एक साजिशःबिहार विद्यालय अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष उदय शंकर सिंह ने कहा कि स्थानांतरण नीति का स्थगन साजिश है. सरकार को चाहिए की स्थानांतरण नीति में आवश्यक संशोधन लाकर इसे तत्काल लागू किया जाए. खासकर बीपीएससी शिक्षकों को स्थानांतरण का मौका मिले. उन्होंने कहा कि सामूहिक स्थानांतरण से बेहतर है कि सरकार ऐसी नीति ले जिसमें वह शिक्षक ही स्थानांतरण में शामिल हो सके जो स्थानांतरण चाहते हैं.

"बिहार में नियोजित शिक्षकों की वर्षों से ऐच्छिक स्थानांतरण की मांग रही है. इसके साथ ही वह यह भी मांग करते हैं कि जब से नियोजित शिक्षकों ने सक्षमता उत्तीर्ण किया है. उसी दिन से सरकार शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देते हुए सुविधाएं उपलब्ध कराए. सरकार को बीपीएससी शिक्षकों को मौका देना चाहिए. पॉलिसी रद्द करना एक साजिश है."-उदय शंकर सिंह

कोर्ट ने क्यों लगायी रोक? बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार से दो सप्ताह के अंदर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. कोर्ट को बताया गया था कि सरकार पॉलिसी में मनमानी कर रही है. पहले 2023 में पुरुष-महिला दोनों शिक्षकों को तीन जिलों का विकल्प दिया गया था लेकिन इसबार महिला को 10 पंचायत और पुलिस को 10 सब डिविजन दिया गया जो बिलकुल गलत है.

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