पलामूःबिहार-झारखंड सीमा पर अवैध शराब की तस्करी रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. लोकसभा चुनाव को लेकर सीमा पर सख्ती बढ़ाने की तैयारी है. उधर, शराब के तस्कर चुनाव से पहले शराब की खेप पहले ही तय स्थान पर पहुंचाने की तैयारी में हैं.
पलामू के सीमावर्ती इलाके में डंप की जाती है शराब की खेप
दरअसल, पलामू और गढ़वा का करीब 110 किलोमीटर का हिस्सा बिहार से सटा हुआ है. बिहार का गया, औरंगाबाद और रोहतास जिला पलामू सीमा के नजदीक है. तस्कर झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से शराब की खेप को बिहार के इलाके में भेजते हैं. जानकारी के अनुसार पलामू से सटे सीमावर्ती इलाके में शराब की खेप डंप की जाती है, इसके बाद बिहार के इलाके में अवैध शराब भेज दी जाती है.
शराब तस्कर ग्रामीण रोड और बंद घरों का कर रहे इस्तेमाल
माफिया शराब की तस्करी के लिए ग्रामीण रोड और सीमा पर मौजूद बंद घरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही शराब के तस्कर नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे की जगह ग्रामीण सड़कों का अधिक इस्तेमाल शराब की तस्करी के लिए कर रहे हैं. कई बार शराब तस्करों का तरीका पुलिस की पकड़ में आ जाता है. इसके बाद तस्कर शराब की तस्करी के तरीके बदल देते हैं. शराब के तस्कर वैसे घरों की तलाश करते हैं जो ग्रामीण इलाके में हैं और आबादी से दूर हैं. ऐसे घरों में ही शराब की खेप डंप की जाती है. शराब की खेप को जमा करने के बाद माफिया सही वक्त की तलाश करते हैं और बिहार के इलाके में आसानी से टपा देते हैं. पलामू के रेहला, छतरपुर, हरिहरगंज, हुसैनाबाद के इलाके में तस्कर अक्सर शराब की खेप डंप करते हैं.
ग्रामीण इलाकों में शराब तस्करी के हैं कई रूट
शराब तस्करी का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है. ओडिशा और छत्तीसगढ़ के शराब तस्कर पलामू के रास्ते ही बिहार के इलाके में अवैध शराब भेजते हैं. पलामू के इलाके में शराब माफिया पहले शराब की खेप को डंप करते हैं. माफिया पलामू के हुसैनाबाद, दंगवार, हुसैनाबाद टंडवा, हुसैनाबाद पिपरा अम्बा, हरिहरगंज अम्बा, हरिहरगंज पथरा, नौडीहा बाजार डुमरिया, नौडीहा बाजार इमामगंज, मनातू चक, मनातू डुमरी चक रोड का इस्तेमाल करते हैं. इन सबके बावजूद कई ऐसी ग्रामीण सड़क हैं जहां पुलिस और प्रशासन के लिए निगरानी बड़ी चुनौती है.
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