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अब पराबैंगनी किरणों से साफ होगा केमिकल युक्त पानी! - IIT Jodhpur - IIT JODHPUR

IIT Jodhpur Research, कपड़ा फैक्ट्री से निकलने वाले पानी, जिसमें मौजूद एजरो डाई जैसे खतरनाक पदार्थ जो पानी जहरीला बनाते हैं, उसका अब निस्तारण होगा. आईआईटी जोधपुर के शोध कर्ताओं ने नई तकनीक इजाद की है.

आईआईटी जोधपुर के शोध कर्ता
आईआईटी जोधपुर के शोध कर्ता (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 26, 2024, 7:15 AM IST

प्रो. डॉ. रामप्रकाश (ETV BHARAT JODHPUR)

जोधपुर.आईआईटी जोधपुर के शोध कर्ताओं ने कपड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित केमिकल युक्त पानी को साफ करने के लिए नई तकनीक इजाद की है. यह तकनीक एनवायरमेंट फ्रेंडली अल्ट्रावायलेट किरणों पर आधारित है, जिससे कपड़ा फैक्ट्री से निकलने वाले पानी जिसमें मौजूद एजरो डाई जैसे खतरनाक पदार्थ जो पानी जहरीला बनाते हैं, उसका भी निस्तारण होगा.

आईआईटी के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रामप्रकाश की अगुवाई में रिसर्चर किरण अहलावत और रामअवतार जांगरा की ओर से विकसित तकनीक 222 नैनोमीटर वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणों को विकसित कर बनाई हैं, जो 254 नैनोमीटर आधारित परंपरागत पराबैंगनी किरणों की तुलना में ज्यादा असरदार है. यह रिसर्च हाल ही में नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हुई है. यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है खतरनाक रसायनों से बचाती है और उत्प्रेरक की आवश्यकता को समाप्त करती है. वैश्विक कपड़ा उद्योग के लिए एक समाधान प्रदान करेगी. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह सफलता न केवल कपड़ा उद्योग इसके अलावा अन्य अपशिष्ट जल प्रबंधन के लिए भी फायदेमंद होगी.

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क्षेत्र के कपड़ा उद्योग के लिए फायदेमंद :इस तकनीक का व्यवसायिक उपयोग व उत्पादन अभी शुरू होना हैं. ऐसा माना जा रहा है कि जल्द इस पर काम होगा. यह उन्नत तकनीक विधि बाहर आने पर जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान में जहां-जहां कपड़ा फैक्ट्रियां लगी हुईं हैं, वहां काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. फिलहाल इन सभी जगहों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद हर दिन लाखों गैलन दूषित पानी इनसे निकल रहा है.

हजारों बीघा जमीन हो चुकी है खराब :जोधपुर शहर और बासनी में कई इंडस्ट्रीज लगी हुई हैं, जिनका दूषित पानी निकल कर जाता है. दावा यह किया जाता रहा है कि पानी ट्रीटमेंट के बाद ही छोड़ा गया है, लेकिन इसके बावजूद उसमें इतने हानिकारक तत्व होते हैं, जिन्होंने कई गांवों की हजारों बीघा जमीन खराब कर दी. लूणी नदी को खराब कर दिया. कमोबोश यही हालात पाली और बालोतरा के आस पास के हैं.

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