नई दिल्लीः देश में बढ़ती मेडिकल कॉलेजों की संख्या के चलते मेडिकल छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. मेडिकल छात्रों की संख्या बढ़ने के कारण उनके सर्जरी के अभ्यास के लिए डेड बॉडी की मांग भी बढ़ रही है. लेकिन, मांग की तुलना में मेडिकल छात्रों को पर्याप्त डेड बॉडी नहीं मिल पाती है. इसकी वजह से मेडिकल छात्र सर्जरी के क्षेत्र में बहुत अधिक अभ्यास नहीं कर पाते हैं.
सर्जन डॉक्टरों को सबसे अधिक अभ्यास की जरूरत बहुत छोटे बच्चों की सर्जरी (पीडियाट्रिक सर्जरी) करने के लिए होती है. इसलिए इस समस्या का समाधान करने के लिए आईआईटी दिल्ली केटेक्सटाइल इंजीनियरिंग एवं फायर सेफ्टी विभाग के पीएचडी स्कोलर ने चेयर प्रोफेसर अश्वनी कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में एक ऐसा सिंथेटिक सर्जिकल मॉडल तैयार किया है, जिस पर मेडिकल छात्र सर्जरी का अच्छा अभ्यास कर सकते हैं.
प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए हाई फिडेलिटी सिंथेटिक सर्जिकल मॉडल तैयार किया है. यह मॉडल लाइव मॉडल के बहुत करीब है. इसमें बच्चे के हर अंग को दर्शाया गया है. जिसको सर्जन अच्छे से समझकर अपने आपको सर्जरी में दक्ष बना सकते हैं. इससे डॉक्टरों की सर्जरी करने की स्पीड भी बढ़ेगी और मरीज को भी जल्दी से सर्जरी होने से कम परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
प्रोफेसर अश्वनी कुमार अग्रवाल ने बताया कि पीएचडी स्कोलर जोगेंदर राठौर ने इस मॉडल पर काम किया है. यह मॉडल ट्रायल में पास होकर कई जगह इस्तेमाल होना भी शुरू हो चुका है. उन्होंने बताया कि दिल्ली एम्स के पीडियाट्रिक विभाग की प्रोफेसर शिल्पा शर्मा ने भी आईआईटी दिल्ली के साथ इस मॉडल को विकसित करने में सहयोग किया है. उन्होंने बताया कि एम्स के सर्जन, आईआईटी दिल्ली के कई प्रोफेसर और स्टूडेंट ने इस मॉडल को तैयार करने में मेहनत की है.