रांची: झारखंड में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को पहले मुख्यमंत्री बनने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद महागठबंधन के नेता चुने जाने और स्पष्ट बहुमत के बावजूद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनने में घंटों लग गए. फिर जब 16 फरवरी को उन्होंने कैबिनेट के विस्तार किया तो वह भी विवादों से अछूता नहीं रहा. एक ओर सहयोगी कांग्रेस के विधायकों ने कांग्रेस की ओर से मंत्री का चेहरा नहीं बदले जाने के बाद अपनी आवाज मुखर कर दी. वहीं झामुमो के एक विधायक ने मुख्यमंत्री आवास में गुस्से में अपने विधायिकी से इस्तीफे तक की धमकी मुख्यमंत्री को दे दी. ये विधायक हैं राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री रहे लातेहार से झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम.
कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनने का न्योता मिलने के बावजूद जब अंतिम क्षणों में उनका नाम लिस्ट से कट गया तो तमतमाए बैद्यनाथ राम सीएम चंपई सोरेन के पास पहुंचे. विधायक ने कहा कि यह सिर्फ उनका नहीं बल्कि पूरे दलित समाज का अपमान है. कहते है कि यहीं पर मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के लंबे राजनीतिक जीवन का अनुभव काम आया. उन्होंने विधायक बैद्यनाथ राम को पहले एक गिलास पानी पिलाया और पहले उनका गुस्सा शांत कराया. इसके बाद सीएम ने बताया कि कांग्रेस ने दवाब बना दिया है लेकिन आप निराश नहीं हो, दिल्ली जाकर न सिर्फ I.N.D.I.A दल के बीच सीट शेयरिंग पर बात होगी बल्कि आपके मुद्दे पर भी बात होगी.
कम हुई बैद्यनाथ राम की नाराजगी, कहा- मुख्यमंत्री पर है भरोसाः
समय के साथ साथ जेएमएम विधायक बैद्यनाथ राम का गुस्सा कुछ कम हुआ तो ये बातें उन्होंने खुद मीडिया के साथ साझा की. उन्होंने कहा कि वो पार्टी के कर्मठ सिपाही हैं, उन्हें हेमंत सोरेन, सीएम चंपई सोरेन और शिबू सोरेन पर पूरा भरोसा है कि वे अनुसूचित जाति के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. इस बीच वे यह कहने से भी नहीं चूके कि अगर उनके साथ न्याय नहीं होता है तो पूरा आकाश मेरे सामने है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कांग्रेस के दवाब में नहीं आना चाहिए था क्योंकि उनका कोटा सिर्फ 12 में से 04 मंत्री पद का ही है.